छत्तीसगढ़ चुनाव : आदिवासी बहुल सीटों पर बीजेपी का अच्छा प्रदर्शन…

छत्तीसगढ़ चुनाव : आदिवासी बहुल सीटों पर बीजेपी का अच्छा प्रदर्शन…

वर्ष 2018 के चुनावों में छत्तीसगढ़ की आदिवासी बहुल विधानसभा सीटों पर जोर का झटका खाने वाली भाजपा ने इस बार, 2023 में अच्छा प्रदर्शन करते हुए अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 17 सीटें जीत लीं .
कारण स्पष्ट है, भाजपा के रणनीतिकारों ने मौके की नजाकत को समझ लिया था . आदिवासी इलाकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा की सार्वजनिक रैलियां और आदिवासी इलाकों से पार्टी की दो परिवर्तन यात्राओं की शुरुआत हुई और रही-सही कसर चुनावी गारंटियों ने पूरी कर दी . आदिवासी बेल्ट में बीजेपी ने बाजी मार ली .
परिणामस्वरूप भाजपा ने 3 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से सत्ता छीन ली . भाजपा ने राज्य विधानसभा की 90 सीटों में से 54 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 35 सीटों पर रोक दिया . एक सीट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) को भी मिली .
आंकड़ों के हिसाब से देखें तो 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा में, 29 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जिसमें राज्य की लगभग 32 प्रतिशत आबादी शामिल है . वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में 25 एसटी-आरक्षित सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ 11 सीटें ही हासिल कर पाई . दूसरी तरफ, भाजपा ने 2018 में मिली 3 सीटों से लम्बी छलांग लगाते हुए इस बार 17 आदिवासी बहुल सीटों पर विजयश्री हासिल की . एक आदिवासी सीट जीजीपी को मिली .
यह बात भी स्पष्ट है कि राज्य में सरकार बनाने में आदिवासियों की भूमिका अहम मानी जाती है . ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस ने आदिवासी विकास और कल्याण की दिशा में कोई कार्य नहीं किया, बावजूद इसके कांग्रेस इस बार एसटी वर्ग का समर्थन बरकरार नहीं रख सकी .
बहुत संभव है, प्रदेश के आदिवासी इलाकों में धर्मान्तरण का मुद्दा काम कर गया . चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने वहां इस मुद्दे को खूब भुनाया . भाजपा के शीर्ष नेताओं ने चुनाव प्रचार में आक्रामक तरीके से भूपेश बघेल सरकार पर निशाना साधा और उस पर धर्मांतरण में शामिल लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगाया . सरगुजा और बस्तर संभाग के आदिवासी इलाकों में खनन के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन का असर भी कांग्रेस के प्रति आदिवासियों के गुस्से का सबब बना.
इसी तरह, जीजीपी और हमर राज पार्टी ने भी अनेक एसटी-आरक्षित सीटों पर कांग्रेस की संभावनाओं को प्रभावित किया है . राज्य गठन के बाद से ही सीतापुर एसटी सीट पर अजेय रहे कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी मंत्री अमरजीत भगत को इस बार हार का सामना करना पड़ा . एक अन्य वरिष्ठ आदिवासी नेता और कांग्रेस के पूर्व राज्य प्रमुख मोहन मरकाम भी अपनी कोंडागांव (एसटी) सीट हार गए .
दूसरी तरफ, भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता, जो इस बार एसटी समुदाय के लिए आरक्षित सीटों से जीते हैं, वे हैं- केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह (भरतपुर-सोनहत), सांसद गोमती साय (पत्थलगांव), पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय (कुनकुरी), पूर्व राज्य मंत्री रामविचार नेताम ( रामानुजगंज), केदार कश्यप (नारायणपुर) और लता उसेंडी (कोंडागांव) . चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने वाले आईएएस अधिकारी नीलकंठ टेकाम केशकाल-एसटी सीट से विजयी हुए .

सम्पादक

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