कला साधक : सिंधी सारंगी वादन में राजेश ने बनाया विश्व रिकॉर्ड…

कला साधक : सिंधी सारंगी वादन में राजेश ने बनाया विश्व रिकॉर्ड…

बिलासपुर (मीडियांतर प्रतिनिधि) बढ़ती पाश्चात्य संगीत शैली के बीच में कोई लोक-कलाकार विश्व रिकॉर्ड बना दे तो यह बेहद प्रशंसनीय होता है । एक लुप्तप्राय वाद्य-यंत्र सारंगी पर अंचल के कलाकार राजेश परसरामानी ने सबसे तेज सारंगी बजा कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है । इन्होंने 420 बीट प्रति मिनट की रफ्तार से सारंगी बजा कर यह कीर्तिमान स्थापित किया।

आज प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए श्री परसरामानी ने बताया कि सारंगी एक लुप्तप्राय वाद्य है, पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए हुए इस वाद्य यंत्र का अब यदा-कदा ही प्रयोग रह गया है। भारत में जैसलमेर और गुजरात के कुछ गांव में सारंगी बजाई जाती है। सिंधी सारंगी सबसे पुरानी मानी जाती है ।

भारतीय स्टेट बैंक में अधिकारी राजेश परसरामानी ने बांसुरी से संगीत सफर शुरू किया था फिर इसमें संतुष्टि न मिलने के कारण उन्होंने उस्ताद नित्यानंद एवं जयपुर घराने के सागर खां से सारंगी की शिक्षा ली । वर्तमान में भी वे तीन तार की सारंगी बजाते हैं, जिसमें कुल 27 की’ज़ (कुंजी) होती हैं । उन्होंने बताया कि गिटार, पियानो, सेक्सोफोन आदि में सबसे तेज बजाने का विश्व रिकॉर्ड बना हुआ है लेकिन सारंगी का कहीं कोई कीर्तिमान नहीं था इसलिए उन्होंने सारंगी का विश्व रिकॉर्ड बनाने का मन बना लिया । धीरे धीरे वे इस मुकाम तक पहुंचे । इससे पहले उन्होंने 320 बीट का रिकॉर्ड बनाया था फिर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ कर वे 420 बीट पर पहुंचे।

सिंधी सारंगी का उद्भव पाकिस्तान स्थित सिंध प्रांत में हुआ, यह सिंधी लोकगीत का एक अहम हिस्सा है । मौखिक साक्ष्य के आधार पर सारंगी का इतिहास पंद्रह सौ से 2000 वर्ष पुराना बताया जाता है। इस समय इसके दो घराने हैं एक पुराना सिंधु घराना और दूसरा इससे ज्यादा परिवर्तित हुआ मुल्तान घराना ।
बनावट की दृष्टि से सिंधी सारंगी एक मिश्रित सारंगी है । इसे दो भागों में बांटा जा सकता है, एक वह सारंगी, जिसमें तांत का इस्तेमाल होता है, दूसरी सारंगी, जिसमें तारों का उपयोग होता है । 500 वर्ष पूर्व उस्ताद नत्थू खान और आमिर खान की बनाई गई सारंगी पूरे देश में और बाहर के मुल्कों में भेजी जाती थी, वर्तमान में सिंधी सारंगी जैसलमेर और जोधपुर में बनाई जाती है । इसमें फनकार अपनी ज़रूरत के मुताबिक बदलाव कर लेते हैं । सिंधु घराने की सारंगियो में दोनों तरफ जारा होता है जबकि मुल्तान घराने की सिंधी सारंगी में केवल एक ओर जारा होता है । ऊपर से जो तार जाती है उसको जारा कहा जाता है । की’ज की संख्या अलग-अलग सारंगी में पृथक होती है । अमूमन 12 से लेकर 25 तक की’ज होती हैं। इसे तीन उंगलियों से बजाया जाता है । मुल्तान घराने की सारंगी चार उंगलियों से भी बजाई जाती है।
मुल्तान घराने में सिंधी सारंगी को बजाने की शैली मुरकी एवं खटका प्रधान है जबकि सिंधी में मीड़ और गमक शैली की प्रधानता होती है।

सम्पादक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *