मई दिवस संग बोरे-बासी सेवन-उत्सव…
विधायक शैलेष पाण्डेय ने मजदूरों और संगी-साथियों के साथ छककर खाया- बोरे-बासी…
छत्तीसगढ़ में शायद ऐसा पहली बार हुआ . प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आव्हान किया था कि 1 मई, श्रमिक दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ की समृद्धशाली परम्पराओं और मान्यताओं को एक अभियान बनाकर मेहनतकश मजदूरों के साथ ‘बोरे-बासी’ भोजन ग्रहण किया जाना चाहिए . मुख्यमंत्री की घोषणा का चहुँ ओर से स्वागत हुआ .
छत्तीसगढ़ में रविवार, 1 मई को मजदूर दिवस के साथ बोरे-बासी सेवन-उत्सव भी मनाया जा रहा है . मुख्यमंत्री की अपील का खासा असर साफ़ दिखाई पड़ रहा है . प्रदेश के सभी हिस्सों से बोरे-बासी खाने की खबरें सुबह से ही आ रही हैं . देश-प्रदेश से और यहाँ तक कि विदेशों से भी आम और खास, सभी लोग बोरे-बासी खाते नज़र आ रहे हैं . सोशल मीडिया में तो बोरे-बासी सन्देश और फोटो-वीडियो का तांता लगा हुआ है .
छत्तीसगढ़ में बोरे-बासी, खान-पान के साथ जीवनशैली का एक अहम हिस्सा माना जाता है . बोरे-बासी, चुरे हुए भात (चावल) को पानी में डूबाकर बनाया गया एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन्स, विटामिन बी-12, खनिज लवण और जल की बहुतायत होती है . भाजी, दही-मही आदि के साथ सेवन करने पर इसके स्वाद और पौष्टिकता में और इजाफा हो जाता है . वस्तुतः बोरे-बासी एक सम्पूर्ण आहार है .
छत्तीसगढ़ की न्यायधानी, बिलासपुर में भी बोरे-बासी सेवन-उत्सव की धूम मची हुई है . बिलासपुर के जनप्रिय विधायक शैलेश पाण्डेय ने बोरे-बासी सेवन को उत्सव के रूप में मनाने का फैसला लिया . बाकायदा एक चौपाल लगाई गई . बड़ी संख्या में वहां मजदूर एकत्रित थे . विधायक पाण्डेय के साथ जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केसरवानी. एल्डरमैन शैलेन्द्र जायसवाल और वरिष्ठ पार्षद रामा बघेल, एल्डरमैन दीपांशु श्रीवास्तव भी मौजूद थे .
रविवार की सुबह ‘बासी खाय के बेरा’ (निर्धारित समय) में विधायक पाण्डेय और उनके संगी-साथियों ने जमीन में आसन ग्रहण किया . विधायक ने बोरे-बासी उत्सव को आनुष्ठानिक पर्व बना दिया . उन्होंने सनातन परंपरा का निर्वहन करते हुए दोना और पत्तल की थाली में परोसे गए बोरे-बासी भोजन के चारों ओर जल-पात्र से जल लेकर छिड़का . वे मन-ही-मन भोजन-मन्त्र का जाप भी कर रहे थे . उन्होंने बोरे-बासी ग्रहण करने से पूर्व ईश्वर को भोग भी लगाया और //त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये । गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर// मन्त्र का उच्चारण किया . सबने अन्न-देवता को प्रणाम किया और छत्तीसगढ़ महतारी की जय के उद्घोष के उपरांत बोरे-बासी ग्रहण किया . परोसे गए भोजन में मिर्चा (मिर्ची), गोंदली (प्याज) और पताल (टमाटर) की चटनी भी खास तौर पर रखी गई थी . सबने बोरे-बासी छककर खाया . भोजनोपरांत कुल्हड़ में छाछ भी पी .
विधायक शैलेश पाण्डेय ने श्रमिक दिवस के अवसर पर मजदूर भाइयों और अपने साथियों के साथ बोरे-बासी खाने के अभियान को एक अभूतपूर्व अनुभव बताया .