विरासत 2022 ; सुरों की तान, तबले की थाप और कत्थक के ओज़ ने भाव-विभोर किया, अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकरों ने दी प्रस्तुतियां…

बिलासपुर(मीडियान्तर प्रतिनिधि)। कला-संस्कृति के विकास के लिए समर्पित, शहर की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था ‘कला विकास केंद्र’ ने रायगढ़ घराने के स्तंभ गुरु पंडित फिरतू महराज की स्मृति में विरासत 2022 का आयोजन किया . सिम्स ऑडिटोरियम में हुए इस कार्यक्रम में सुरों की तान, तबले की थाप और कत्थक के ओज़ से लोग भाव-विभोर हो गए .


कार्यक्रम की शुरुआत नन्हे गायक मास्टर युवराज सिंह के शास्त्रीय गायन से हुई . युवराज की स्वर-लहरियों से उपस्थित जनमानस मंत्रमुग्ध हो गया . इसके बाद अंतरारष्ट्रीय स्तर के तबला वादक यशवंत वैष्णव ने एकल प्रस्तुति दी . यशवंत बिलासपुर के ही हैं . उन्होंने मीडियान्तर को बताया कि वे मिश्रित ताल का प्रयोग करते हैं और इन दिनों शास्त्रीय के साथ पाश्चात्य संगीत को मिला कर तबले में नए प्रयोग कर रहे हैं . उन्होंने बताया कि 2 साल के करोना काल में उन्हें अपनी कला को निखारने का अच्छा अवसर मिला .


रायगढ़ कथक घराने के कला-गुरू सुनील वैष्णव ने भी बताया कि यशवंत, मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन की परंपरा के कला-साधक हैं . उस्ताद जाकिर हुसैन ने स्वयं उनसे मिलकर आशीर्वाद दिया है .


रविवार की शाम सिम्स प्रेक्षागृह में यशवंत ने तबले पर तीन ताल में एकल प्रस्तुति के साथ शुरूआत की . उनकी चपल अँगुलियों की जादूगरी देख दर्शक और श्रोता अवाक् रह गए . जैसे-जैसे यशवंत का तबला वादन परवान चढ़ता, पूरा हॉल तालियों की गडगडाहट से गूँज उठता .


विरासत-2022 में सर्वाधिक आकर्षण के केंद्र रहे कथक-नर्तक अरोरा दंपती . विख्यात कथक गुरू दीपक अरोरा और उनकी धर्मपत्नी डॉ शुभ्रा अरोरा ने शुद्ध शास्त्रीय नृत्य कथक का जो समां बांधा वह चमत्कृत कर देने वाला था .
अरोरा दंपती ने कथक, नृत्य व तबले की लयबद्ध दुनिया से प्रेक्षकों का सीधा साक्षात्कार कराया . गुरुग्राम / दिल्ली से आये जयपुर घराने के सुविख्यात नर्तक दीपक अरोरा और डा. शुभ्रा अरोरा ने कार्यक्रम का शुभारंभ शिव-वन्दना से किया . इसके उपरांत उनके द्वारा तीन ताल में निबद्ध जयपुर घराने की पारंपरिक बंदिशों का प्रस्तुतीकरण भी लाजवाब था .
देश की जानी-मानी कत्थक नृत्यांगना डॉक्टर शुभ्रा और उनके पति दीपक अरोरा ने यशवंत वैष्णव के तबले की थाप के साथ बेहतरीन नृत्य प्रस्तुत किया . सुरताल से सजे इस नृत्य में जयपुर कथक घराने के विभिन्न शास्त्रीय रूपों को साक्षात् देखने का अवसर मिला . यशवंत वैष्णव के तबले की थाप ने सचमुच उस्ताद जाकिर हुसैन की याद दिला दी .
कथक नृत्य की अनेक प्राचीन परम्परायें जयपुर घराने में अभी भी सुरक्षित हैं . अरोरा दंपती के नृत्य में वहीँ जोश, ओज़ व तेज़ी साफ़ दिखाई पड़ती है . मुश्किल तालों में वे अत्यंत सरलता से अपने नृत्य कौशल का प्रदर्शन करते हैं . जबरदस्त फुटवर्क, सम्पूर्ण भाव-भंगिमाएं और हस्त-संचालन देखने लायक था . छोटे-छोटे तोड़ें, टुकडें, परन और खासतौर पर चक्करदार परन उनकी ख़ास विशेषता रही . कार्यक्रम के अंत में कृष्ण रास लीला का अद्भुत संयोजन, कृष्ण और राधा के प्रेम, छेड़छाड़ और मिलन को अत्यंत मोहक रूप से व्याख्यायित कर गया .
कुल मिलाकर, अरोरा दंपती का नृत्य अभिनय, भाव-भंगिमाएं और अंग संचालन सबसे अलग था और प्रेक्षकों को कथक की गौरवशाली शास्त्रीय परम्परा से सीधा जोड़ता चला गया . पूरे नृत्य के दौरान दिल्ली से आये नवीन प्रसाद ने हारमोनियम और गायन, मनोज जायसवाल ने सितार और यशवंत वैष्णव ने तबले पर संगत की .
विरासत-2022 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव थे . अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कला संस्कृति की पहचान रायगढ़ घराने से ही है . उस परंपरा का निर्वाह कला विकास केंद्र की अध्यक्ष सुश्री वासंती वैष्णव बखूबी कर रही हैं . इस केंद्र के कलाकारों की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हो रही है . कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महापौर रामशरण यादव ने कहा कि उन्हें गर्व है, इस तरह का आयोजन बिलासपुर में हो रहा है . ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए . विशिष्ट अतिथि राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनय पाठक तथा सिम्स के डीन डॉक्टर के के सहारे थे . स्पीक मैके के प्रदेश संयोजक डॉ अजय श्रीवास्तव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया . कला विकास केंद्र के निदेशक और सचिव, कथक गुरू सुनील वैष्णव ने पूरे कार्यक्रम के दौरान महती भूमिका निभाई . कार्यक्रम का ओजस्वी संचालन गणेश कछवाहा ने किया .

सम्पादक

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