वनबंधु और नगरबंधु भाई-भाई की तरह- प्रो. नीलांबरी दवे

वनबंधु और नगरबंधु भाई-भाई की तरह- प्रो. नीलांबरी दवे

जनजातीय अध्ययन एवं अनुसंधान : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत समावेशी शिक्षा विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन…

गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) बिलासपुर एवं अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने संयुक्त रूप से जनजातीय अध्ययन एवं अनुसंधान : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत समावेशी शिक्षा विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन जैव प्रौद्योगिकी विभाग के स्मार्ट क्लास रूम में शनिवार, 23 सितंबर, 2023 को सुबह 10 बजे किया। उद्घाटन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सौराष्ट्र विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. नीलांबरी दवे रहीं। विशिष्ट अतिथि प्रो. रामदास अटराम, कुलपति डॉ. बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय इंदौर (म.प्र.), संदीप कविश्वर, राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री वनवासी कल्याण आश्रम रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ आचार्य प्रो. अमित सक्सेना ने की।

कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सौराष्ट्र विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. नीलांबरी दवे ने कहा कि भारतीय संस्कृति और जीवन का मूल आधार हमारे वनबंधु हैं। जनजातीय समाज के साथ हमारा संबंध वनबंधु एवं नगरबंधु की तरह भाई-भाई का है। हमें प्रधानमंत्री के लैब से लैंड तथा लैंड से लैब के विचार को समावेशित करते हुए वनबंधुओं की ज्ञान, परंपरा एवं कौशल को जानने एवं सीखने की आवश्यकता है। यह कार्यशाला वनवासियों के विभिन्न आयामों को समझने, सीखने एवं अध्ययन के लिए उपयुक्त मंच है। इसके माध्यम से प्राप्त होने वाले परिणामों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा सकता है।
संदीप कविश्वर, राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री वनवासी कल्याण आश्रम ने कहा कि जनजातीय जागरुकता में हमें जनजातीय परंपराओं, रहन-सहन एवं आचार-विचार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपने विचार में परिवर्तन करते हुए जनजातीय समाज को वरीयता क्रम में प्राथमिकता देनी चाहिए।


विशिष्ट अतिथि प्रो. रामदास अटराम, कुलपति डॉ. बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय इंदौर (म.प्र.) ने इस बात पर बल दिया कि जनजातीय समाज का अध्ययन उनके बीच के लोगों के द्वारा ही किया जाना चाहिए जिसमें तथ्यों की प्रामाणिकता हो। पाठ्यक्रम का निर्धारण इस प्रकार किया जाना चाहिए जिससे अध्ययनकर्ताओं को उनके विषय में सटीक तथा तथ्यात्मक जानकारियां उपलब्ध हो सकें।
इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर मां सरस्वती एवं संत गुरु घासीदास बाबा के चित्र पर माल्यार्पण किया। नन्हें पौधे से अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यशाला के संयोजक प्रो. मुकेश सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया। प्रो. विवेक कुमार आईआईटी दिल्ली ने कार्यशाला की विषयवस्तु एवं रूपरेखा प्रस्तुत की। अन्य मंचस्थ अतिथियों में प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी, कुलपति, अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर तथा गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव शामिल थे।
मंचस्थ अतिथियों का स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यशाला के संयोजक प्रो. मुकेश सिंह, प्रो. प्रवीन कुमार मिश्रा तथा प्रो. जगदीश कुमार हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गरिमा तिवारी वानिकी विभाग ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में 150 से ज्यादा प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया। कार्यशाला में विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

सम्पादक

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