कल महाशिवरात्रि, पूजा के लिए विशेष हैं मुहूर्त…

कल महाशिवरात्रि, पूजा के लिए विशेष हैं मुहूर्त…

बिलासपुर (मीडियान्तर प्रतिनिधि) कल मंगलवार, 1 मार्च को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ये पर्व मनाया जाता है और उपवास और पूजा से भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का अभिषेक करने का विशेष महत्व होता है।
शिवरात्रि के दिन भक्तों को स्नान करने के पश्चात ही पूजा करना चाहिए और मंदिर अवश्य जाना चाहिए। शिव भगवान की पूजा रात्रि के समय करना श्रेयस्कर होता है। व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य में ही व्रत का समापन करना चाहिए।
पौराणिक ग्रंथों में भगवान शिव के 108 नामों का उल्लेख किया गया है। माना जाता है कि जो भक्त भगवान शिव के 108 नामों का नियमित रूप से जाप करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिवलिंग पर हमेशा उल्टा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए। बेलपत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ होना चाहिए। इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है . महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है।

विधि…

महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चंदन का लेप लगाकर पंचामृत से स्नान कराएं, दीप और कर्पूर जलाएं, पूजा करते समय ॐ नमः शिवाय का जाप करें। इसके बाद बेलपत्र और फूल अर्पित करें फिर गोबर के उपलों की आग में जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें ।
महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं . एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से हुआ इसलिए इस दिन को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

मुहूर्त…

हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 3:16 से शुरू होकर 2 मार्च बुधवार को करीब 10:00 बजे तक रहेगी।
पहले पहर की पूजा सुबह 6:21 से 9:27 तक, दूसरे पहर की पूजा रात्रि 9:27 से 12:33 तक और तीसरे पहर की पूजा 2 मार्च को रात्रि 12:33 से सुबह 3:39 तक करना शुभ होगा।
महाशिवरात्रि के दिन शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बहुत अच्छा माना गया है . इस बार महाशिवरात्रि पर शिव योग बन रहा है साथ ही शंख, पर्वत, हर्ष, दीर्घायु और भाग्य नाम के राज योग बन रहे हैं . इस दिन मकर राशि में चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र और शनि रहेंगे . इन ग्रहों के एक साथ होने से पंचग्रही योग बन रहा है। इस युति में शिव पूजा करना बहुत लाभदायक होता है। ग्रहों की यह स्थिति बहुत सालों बाद बन रही है . पूजा का मंत्र ओम नमः शिवाय है।

आवश्यक सामग्री…

पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में शिवलिंग बैठाने के लिए ऊन की बनी चटाई, एक दीपक, एक कपास की बाती, पवित्र बेल, तांबे का बर्तन, थाली, शिवलिंग रखने के लिए सफेद कपड़ा, माचिस, अगरबत्ती, चंदन, घी, कपूर रोली, बेलपत्र विभूति, आक का फूल, छोटी कटोरी गुलाब जल, जाए फूली, और गुलाल प्रमुख हैं। भगवान शिव पर अक्षत पान, सुपारी, रोली, मोली, चंदन, लौंग- इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा भी चढ़ाया जाता है . बहुत से जातक सूखा नारियल भी चढ़ाते हैं ।

बिलासपुर के मंदिर सज-धज कर तैयार….

शिवरात्रि के लिए बिलासपुर के सारे शिव मंदिर सज-धज कर तैयार हैं। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में रतनपुर और चांटीडीह का विशेष मेला भरता है। इसके अलावा मल्हार में शिव महोत्सव मनाया जाता है . बिलासपुर नगर में मध्यनगरी चौक के पास अष्टमुखी शिव मंदिर में सर्वाधिक श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा सरकंडा का पंचमुखी श्री महाशिव मंदिर भी प्रसिद्ध है। बिलासपुर के सारे मंदिर आज साफ सफाई के बाद कल पूजा के लिए तैयार कर दिए गए हैं। कई मंदिरों में भंडारे का आयोजन किया गया है . यहां श्रद्धालुओं को निशुल्क भोजन-प्रसाद उपलब्ध कराया जाएगा।

सम्पादक

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