मीडियेटर को सभी पहलुओं पर विचार करते हुए अपने ज्ञान, अनुभव एवं प्रशिक्षण का उपयोग प्रकरणों के निराकरण में करना चाहिए- चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी.
बिलासपुर . न्यायालयों में बढ़ती प्रकरणों की संख्या को देखते हुए ही मीडियेशन के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण हेतु यह तंत्र तैयार किया गया है। प्रशिक्षित मिडियटरों के द्वारा पक्षकारों के मध्य विवादों को समझकर, उनका विश्लेषण कर आपसी-समझ से प्रकरणों का निराकरण किये जाने का प्रयास किया जाता है। इसलिए मीडियेटर को समुचित प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है, प्रशिक्षण के माध्यम से ही मीडियेटर को दो पक्षकारों के मध्य किस प्रकार मध्यस्थता कराई जानी है, यह सिखाया जाता है ताकि वे प्रकरण को अच्छी तरह समझ कर उसको सरलता से निराकृत कर सके।
सोमवार को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में अधिवक्ताओं एवं न्यायाधीशों के लिये आयोजित 40 घंटे का मीडियेशन ट्रेनिंग कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए अरूप कुमार गोस्वामी, मुख्य न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण आगे कहा कि मीडियेटर को प्रकरण को मीडियेशन के माध्यम से निराकृत करते समय प्रकरण के सभी पहुलओं पर विचार करते हुए अपने ज्ञान, अनुभव एवं प्रशिक्षण का उपयोग करना चाहिये।
उन्होंने बताया कि एक पति-पत्नी का विवाद निचली न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया, जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था तब उसे मीडियेशन हेतु रिफर किये जाने पर उस प्रकरण का वहां मध्यस्थ के माध्यम से सुलह करा कर निराकरण किया गया।
सोमवार 9 जनवरी से 13 जनवरी तक आयोजित मध्यस्थता प्रशिक्षण के शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गौतम भादुड़ी, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने कहा कि वर्तमान में न्यायालयों में प्रकरणों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिनके कारण न्यायालयों पर भी दबाव बना रहता है। आज मानव तकनीकी रूप से विकसित होता जा रहा है, और इससे विवादों में भी वृद्धि हो रही है। सभी स्तरों पर मध्यस्थता केन्द्र पूर्व से संचालित है, पर उनमें उतनी संख्या में प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पाता है, जितना की होना चाहिए , इसलिये यह मीडियेशन ट्रेनिंग भी आवश्यक हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस ट्रेनिंग कार्यक्रम में प्रतिभागियों को अधिक से अधिक प्रकरणों का निराकरण मीडियेशन के माध्यम से प्रभावी ढंग से पक्षकारों के मध्य कैसे कराया जा सके, ताकि पक्षकार पूरी तरह से संतुष्ट होकर जाये, यह खास तौर पर बताया जायेगा। निश्चित रूप से इस प्रशिक्षण लाभदायी सिद्ध होगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि संजय अग्रवाल, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, मीडियेशन कमेटी उच्च न्यायालय ने अपने सम्बोधन एन कहा कि पक्षकारों के मध्य लंबित प्रकरणों के निराकरण हेतु एक ऐसा सिस्टम तैयार किया जाये जिसमें पक्षकारों के बीच आसानी से समझौता कर उसका निराकरण किया जा सके, इस हेतु दो पक्षों के बीच के मध्य सुलह कराने हेतु मीडियेटर की आवश्यकता होगी। इसी अनुक्रम में उच्चतम न्यायालय के द्वारा मानिटरिंग एण्ड कौंसिलेशन प्रोजेक्ट कमेटी का गठन किया गया और वर्ष 2015 में प्रथम मीडियेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिसके बाद इसके बहुत अच्छे परिणाम देखने में आये। प्रकरणों को मध्यस्थता के माध्यम से निराकृत करने से मामलों में कमी आने लगी। मीडियेशन ट्रेनिंग के माध्यम से पक्षकारों के मध्य मध्यस्थ कराने का तरीका एवं परिस्थितियों को देखते हुए सुलह कराये जाने का प्रयास किया जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि मीडियेशन की कार्यवाही हेतु छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के द्वारा मीडियेशन रूल्स 2015 भी तैयार किया गया है, जिसमें मध्यस्थता केन्द्रों का संचालन एवं उसके कार्यो के संबंध में पूरी जानकारी दी गई है, जिसके तहत प्रशिक्षित मीडियेटर को किस तरह से काम करना है, बताया गया है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का स्वागत भाषण बलराम प्रसाद वर्मा, सचिव कमेटी फार मानिटरिंग द मिडियेशन सेंटर के द्वारा दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन आनंद प्रकाश वारियाल सदस्य सचिव तथा श्रीमती कामिनी जायसवाल अवर सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा किया गया।
चालीस घंटे के मिडियेशन प्रशिक्षण हेतु दिल्ली से वरिष्ठ प्रशिक्षक के रूप में राजेश गुप्ता एवं सुरेन्द्र सिंह तथा पोटेन्शियल ट्रेनर के रूप में झारखण्ड से शिवशंकर प्रसाद, अशोक कुमार राय, बरून कुमार पाण्डेय, उत्तरप्रदेश से नीरज उपाध्याय उपस्थित हैं। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 9 जनवरी से 13 जनवरी 2023 तक दो बैचों में चलेगा, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों के 05 न्यायिक अधिकारी एवं 35 अधिवक्ताओं सहित कुल 40 प्रतिभागीगण भाग ले रहे हैं।
उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशिष्ट रूप से जस्टिस संजय के. अग्रवाल, जस्टिस नरेन्द्र कुमार व्यास, जस्टिस दीपक कुमार तिवारी, जस्टिस सचिन सिंह राजपूत, जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय, सतीश चन्द्र वर्मा, महाधिवक्ता, अरविंद कुमार वर्मा, रजिस्ट्रार जनरल, श्रीमती सुषमा सांवत डायरेक्टर, न्यायिक एकेडमी, अशोक कुमार साहू जिला न्यायाधीश, बिलासपुर, रमाशंकर प्रसाद प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट सहित बड़ी संख्या में रजिस्ट्री, एकेडेमी, जिला न्यायालय के न्यायिक अधिकारीगण तथा वरिष्ठ अधिवक्ता, ट्रेंड मीडियेटर अधिवक्ता, अधिवक्तागण एवं विधि छात्रगण उपस्थित रहें।