खूंटाघाट एवं घोंघा जलाशय के गेट खोल दिए गए, रोपा बियासी सहित कृषि कार्यों में आयेगी तेजी…
बिलासपुर जिला के खूंटाघाट और घोंघा बांध से रविवार को सिंचाई के लिए पानी छोड़ दिया गया। नहर में पानी प्रवाहित होने की खबर सुनकर किसानों और जनप्रतिनिधियों में खुशी की लहर दौड़ गई। इससे मस्तूरी एवं बिल्हा के 208 गांव के किसानों के खेतों की सिंचाई होगी।
इस अवसर पर अरुण चौहान, अध्यक्ष जिला पंचायत बिलासपुर, अंकित गौरहा सभापति जिला पंचायत, राजेश्वर भार्गव सभापति जिला पंचायत बिलासपुर, विनोद ठाकुर पूर्व जनपद अध्यक्ष मस्तूरी, सुभाष अग्रवाल, मदन कहरा, रतनपुर, डी जायसवाल अनुविभागीय अधिकारी सिंचाई विभाग, और के के शुक्ला सहायक अभियंता सिंचाई विभाग सहित बड़ी संख्या में किसान एवं ग्रामीणजन उपस्थित थे।
इसके पहले क्षेत्र में अल्प वर्षा के मद्देनजर प्रशासन ने खूंटाघाट एवं घोंघा जलाशय से खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए रविवार 7 अगस्त को पानी छोड़ने की घोषणा की थी । जल संसाधन विभाग द्वारा आज सुबह 8 बजे नहरों के कपाट खोल दिये। इससे मस्तूरी एवं बिल्हा विकासखण्ड के 208 गांवों में अल्प वर्षा से प्रभावित फसलों को जीवनदान मिलेगा। खेती-किसानी के कार्यों को गति मिलेगी।
बताया गया कि खूंटाघाट जलाशय में वर्तमान में 88 प्रतिशत एवं घोंघा जलाशय में 59 प्रतिशत जलभराव उपलब्ध है। इससे पूर्व कमिश्नर डॉ संजय अलंग एवं कलेक्टर सौरभकुमार ने स्वयं मस्तूरी तहसील के आधा दर्जन गांवों का दौरा कर फसलों की स्थिति का अवलोकन किया था। जनप्रतिनिधियों एवं किसानों ने जलाशयों से पानी छोड़ने की मांग रखी थी।
जल संसाधन विभाग खारंग के कार्यपालन अभियंता ने बताया कि खूंटाघाट जलाशय के बांयी एवं दायी दोनों तट नहरों तथा घोंघा जलाशय की नहरों से पानी छोड़ा गया। मुख्य नहर की वितरक शाखा एवं उप-शाखा नहरों में उनकी क्षमता के अनुरूप सिंचाई के लिए पानी दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि मुख्य नहर के अंतिम छोर तक निर्बाध सिंचाई हेतु मैदानी अमलों को दिन-रात पेट्रोलिंग के निर्देश दिये गये हैं। क्षेत्र के किसानों से सहयोग की अपील की गई है कि वे पानी एवं नहर को सुरक्षित रखते हुये जरूरत के मुताबिक ही पानी का उपयोग करें। मछली मारने वालों एवं अन्य असामाजिक किस्म के लोगों द्वारा रात में नहर के पानी को हेडअप कर रोकने की प्रवृत्ति को देखते हुए रात में भी पेट्रोलिंग की जाएगी। नहर पाटने या पम्प अथवा अन्य माध्यम से अवैधानिक रूप से सिंचाई करने पर नियमानुसार कानूनी कार्रवाई भी की जायेगी।