हाईकोर्ट से पिता को नहीं मिली पुत्र की कस्टडी, 14 साल के पुत्र ने अपने जैविक पिता के साथ रहने से किया इनकार, कहा- मम्मी को टॉर्चर करते थे…

हाईकोर्ट से पिता को नहीं मिली पुत्र की कस्टडी, 14 साल के पुत्र ने अपने जैविक पिता के साथ रहने से किया इनकार, कहा- मम्मी को टॉर्चर करते थे…

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की युगल पीठ ने 14 साल के बच्चे को अपने नाना-नानी और दूसरे पिता के साथ ही रहने का फैसला देते हुए उसके जैविक पिता की याचिका को अस्वीकार कर दिया है . पहले पिता ने हाईकोर्ट में अपने पुत्र की कस्टडी माँगते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी .
एडवोकेट अनुभूति मरहास ने बताया कि जगदलपुर में रहने वाली एक महिला का वर्ष 2004 में मुंबई निवासी युवक से विवाह हुआ था . तीन साल बाद उनका एक बेटा पैदा हुआ . पति-पत्नी में आए दिन विवाद होता रहता था . महिला का पति उसे प्रताड़ित करता था . शादी के 15 साल बाद वर्ष 2019 में दोनों ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया . इसके बाद युवक ने दूसरी महिला से शादी कर ली . महिला अपने बच्चे के साथ मायके आ गई और उसने भी एक अन्य व्यक्ति के साथ दूसरा विवाह कर लिया .
एडवोकेट मरहास ने बताया कि अप्रैल, 2021 में कोरोना के संक्रमण से महिला की मौत हो गई . अपनी पहली पत्नी की मौत की खबर मिलने के बाद मुम्बई निवासी उसके पहले पति ने ससुराल से संपर्क कर अपने 14 साल के बेटे की कस्टडी मांगी . किशोर उम्र के बच्चे सहित उसके नाना-नानी ने पिता को साफ़ इनकार कर दिया और उससे मिलने-जुलने से भी मना कर दिया . आखिर पिता ने कानूनी अधिकार जताते हुए बेटे की कस्टडी पाने के लिए हाइकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की .
हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस दीपक तिवारी की युगल पीठ में 3 अगस्त की पिछली सुनवाई में बच्चे को 24 अगस्त को हाईकोर्ट में पेश करने का आदेश दिया . बुधवार को 14 वर्षीय किशोर को हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया गया . हाईकोर्ट ने इस मामले में बच्चे की राय पूछी कि क्या वह अपने पिता के साथ जाना चाहता हैं .
हाईकोर्ट के समक्ष किशोर उम्र बालक ने साफ़ कह दिया कि उसके पापा मेरी मम्मी को टार्चर करते थे इसलिए वह अपने पिता के साथ नहीं रहना चाहता . वह अपने दूसरे पापा और नाना-नानी के साथ ही रहना चाहता है .
हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस की युगल पीठ ने बच्चे के बयान के आधार पर अपने फैसले में स्पष्ट किया कि बच्चा अपने नाना-नानी और दूसरे पिता के साथ खुश है . पढ़ाई-लिखाई सहित उसकी परवरिश ठीक तरीके से की जा रही है . बच्चा स्वयं भी अपने पिता के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हैं .
हाईकोर्ट ने बच्चे को अपने नाना-नानी और दूसरे पिता के साथ रहने का आदेश सुनाते हुए उसके जैविक पिता की याचिका अस्वीकार कर दी है .

सम्पादक

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