वनमाली जी के जयंती वर्ष पर सीवीआरयू में कहानी व कविता पाठ…
बिलासपुर कमिश्नर डॉ संजय अलंग, साहित्यकार डॉ सतीश जायसवाल, रामकुमार तिवारी, डॉ सुधीर सक्सेना ने किया रचना पाठ…
डॉ. सी वी रामन विश्वविद्यालय, कोटा-बिलासपुर में स्वर्गीय जगन्नाथ प्रसाद चौबे, वनमाली जी के 110वें जयंती वर्ष पर कहानी एवं कविता पाठ का आयोजन किया गया . इस अवसर पर बिलासपुर संभाग के आयुक्त डॉ संजय अलंग, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुधीर सक्सेना, श्रीकांत वर्मा पीठ के अध्यक्ष रामकुमार तिवारी एवं वनमाली सृजन पीठ, बिलासपुर के अध्यक्ष डॉ सतीश जायसवाल ने कविता पाठ किया . इस अवसर पर सभी ने वनमाली जी के लेखन पर विस्तार से चर्चा भी की और उसे प्रासंगिक बताया .
कार्यक्रम में उपस्थित कवि-साहित्यकार और बिलासपुर संभाग के कमिश्नर डॉ संजय अलंग ने कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के कार्य किए जाते हैं . इसमें रिसर्च एक महत्वपूर्ण कार्य होता है . विश्वविद्यालयीन रिसर्च से ही कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन ईजाद की गई . उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में कला, साहित्य के क्षेत्र में भी निरंतर रिसर्च होने चाहिए . उन्होंने प्रसन्नता जाहिर की कि डॉ सी वी रामन विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रहा है .
डॉ अलंग ने अपना कविता-पाठ “इतिहास बोध” से आरम्भ किया जिसमें छत्तीसगढ़ के इतिहास का विशिष्ट वर्णन था . इसके बाद उन्होंने मध्यम…गुलेल…महुआ बीनती लड़की…बांस…कोयला खनिक…जंगली लोग…सहित अनेक कविताओं का पाठ किया . उनकी सभी कविताओं में छत्तीसगढ़ और यहाँ के ग्राम्य जीवन की विशेष झलक साफ़ दिख रही थी . डॉ अलंग यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने आज की व्यवस्था और इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार पर जमूरा और बड़े बाबू जैसे प्रतीकों के जरिये करारा व्यंग्य किया . कवि अलंग ने प्रेम कविताएँ भी सुनाईं जिसमें, मुझे प्यार है तुमसे…उल्लेखनीय रही .
कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार और श्रीकांत वर्मा पीठ के अध्यक्ष रामकुमार तिवारी ने डॉक्टर संजय अलंग की कविताओं के बारे में विस्तार से व्याख्या की . उन्होंने कहा कि आज के दौर की कविताओं में बोध और मर्म होना जरूरी है और यह सब डॉ अलंग की कविताओं में बखूबी मिलता है .
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर सुधीर सक्सेना ने जगन्नाथ प्रसाद चौबे, वनमाली जी के लेखन पर प्रकाश डाला और उनके लेखन से भावी पीढ़ी को प्रेरणा लेने की बात कही .
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि-साहित्यकार और वनमाली सृजन पीठ, बिलासपुर के अध्यक्ष डॉ सतीश जायसवाल ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन के बाद शोध बिन्दु…शीर्षक से अपना कविता पाठ आरम्भ किया . बाद में डॉ जायसवाल ने अपनी कई कविताओं में समुद्र…को केंद्र में रखकर उसमें अन्तर्निहित मानवीय संबंधों को बिबों और प्रतीकों के माध्यम से विस्तार दिया . उन्होंने वनमाली जी के जीवन के अनेक पहलुओं को भी साझा किया .
इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ सी वी रामन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि कला, साहित्य और संस्कृति, शिक्षा के अनिवार्य अंग हैं . इनसे समाज में कभी भी विसंगतियां नहीं आती और व्यक्ति का जीवन सकारात्मक दिशा की ओर बढ़ता है . उन्होंने कहा कि यह मजबूती और व्यापकता के साथ मनुष्य को संपूर्णता की ओर ले जाता है .
कार्यक्रम के आरम्भ में स्वागत भाषण देते हुए विश्वविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ अरविंद तिवारी ने कहा कि कला, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ी लोक कला एवं संस्कृति केंद्र स्थापित किया गया है . रामन लोक कला महोत्सव का आयोजन भी बीते कई सालों से किया जा रहा है जिसमें विभिन्न विधाओं के कला-मनीषियों को मंच प्रदान किया जाता है .
वनमाली जी के जयंती वर्ष पर आयोजित कविता पाठ के अवसर पर रामन विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी व शोधार्थी उपस्थित थे .