रंगमंच ; नाटक जिंदा लाश का मंचन, राजनीति पर तीखे कटाक्ष…

रंगमंच ; नाटक जिंदा लाश का मंचन, राजनीति पर तीखे कटाक्ष…

आदर्श कला मंदिर की 100वीं प्रस्तुति…

बिलासपुर (मीडियांतर प्रतिनिधि) आदर्श कला मंदिर और सिम्स छात्र संघ तथा श्लोक-ध्वनि फाउंडेशन परस्पर सहयोग से सिम्स ऑडिटोरियम में नाटक “जिंदा लाश” का मंचन किया गया . पागलों की दशा को रेखांकित करता यह नाटक दर्शकों को खूब भाया . आदर्श कला मंदिर की यह 100वीं प्रस्तुति थी . पागलों के माध्यम से राजनीति पर तीखे प्रहार किए गए . कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संभागायुक्त डॉ संजय अलंग थे जबकि अध्यक्षता अटल विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य एडीएन बाजपेई ने की . विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ विनय पाठक, स्पिक मैके के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव, इप्टा के अध्यक्ष मिनहाज असद और सिम्स के डीन डॉक्टर के के सिहारे मौजूद थे .


नाटक का कथानक एक मंत्री और उसके चालक, पी.ए. के इर्द-गिर्द घूमता है . पीए, मंत्री को सलाह देता है कि अपना जन्मदिन पागलों के बीच मनाएं . इसके बाद कई रोचक स्थितियां पैदा होती हैं . जब मंत्री पागलखाने पहुंचता है तो पागल एक-एक करके मंत्री के कपड़े उतरवा लेते हैं . मंत्री को सलाह दी जाती है कि राजनीति में नंगा होना पड़ता है, वस्तुतः नंगे ही राजनीति करते हैं . हास्य-व्यंग्य के साथ धीरे धीरे यह नाटक श्रोताओं को पाने साथ जोड़ने में सफल होता है .
जिन्दा लाश में मंत्री की भूमिका में श्री कुमार पांडे ने बेहतरीन अभिनय किया . मंत्री के पीए राम जाने की भूमिका देव कुमार ने निभाई . नाटक में चार-पांच पागल भी थे . पहले पागल की भूमिका दिग्विजय पाठक, दूसरे पागल की भूमिका शंकर दयाल, तीसरे पागल की भूमिका भालचंद्र मराठे ने निभाई जो बेहद सराहनीय रही . चौथे पागल की भूमिका में शांतनु कपूर और हिंसक पागल की भूमिका में विश्वनाथ राव ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया . सारंगी बनी निधि साहू, डॉक्टर बने शत्रुघ्न प्रसाद, सरला की भूमिका में शुभ्रा दत्ता और पांचवें पागल चंद्रशेखर राव ने भी उल्लेखनीय अभिनय किया . रूप सज्जा दिनेश धनगर की थी जबकि प्रकाश व्यवस्था अरविंद भांगे द्वारा की गई . भरत वेद और रविंद्र मिश्रा के संगीत संयोजन ने अलग छाप छोड़ी . गायन भरत वेद और आकर्षण दत्ता ने किया .
लेखक निर्देशक भरत वेद ने मीडियांतर को बताया कि यह आदर्श कला मंदिर की 100वीं प्रस्तुति थी . संस्था ने सबसे पहला नाटक लगन 1976 में नॉर्थ ईस्ट रेलवे इंस्टीट्यूट के सभागार में किया था . इसके बाद से यह सिलसिला लगातार चलता रहा . संस्था के अध्यक्ष एचडी मानिकपुरी ने बताया कि नाट्य विद्या हमारी परंपरा और संस्कृति की एक महत्वपूर्ण कड़ी है लेकिन इसके प्रति लोगों की दिलचस्पी का अभाव है . वर्तमान में यह विधा गहरी निद्रा में है जिसे जगाने और उसमें प्राण फूंकने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है .
कार्यक्रम में बिलासा कला मंच के कलाकार, बिलासपुर आर्टिस्ट ग्रुप से रिंकू मित्रा, अतुल कांत खरे, इप्टा से मधुकर गोरख, सचिन शर्मा, वरिष्ठ रंगकर्मी उमाकांत खरे, बावरा मन के अध्यक्ष रामा राव सचिव राजेश दुआ, कला-प्रेमी वीरेन्द्र अग्रवाल, साहित्यकार द्वारिका प्रसाद अग्रवाल सहित अनेक नाट्य प्रेमी उपस्थित थे .

सम्पादक

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