नए सांस्कृतिक भूगोल को प्रस्तावित कर रहा सिन्धी लोक संगीत उत्सव – डॉ सतीश
पुराने वाद्य यंत्रों और इतिहास से रूबरू हुई नई पीढ़ी…

नए सांस्कृतिक भूगोल को प्रस्तावित कर रहा सिन्धी लोक संगीत उत्सव – डॉ सतीशपुराने वाद्य यंत्रों और इतिहास से रूबरू हुई नई पीढ़ी…

बिलासपुर . सिन्धी लोक संगीत उत्सव एक नए सांस्कृतिक भूगोल को प्रस्तावित कर रहा है . देश के जाने-माने साहित्यकार डॉ सतीश जायसवाल ने दूसरे सिंधु कला उत्सव के उद्घाटन अवसर पर कहा कि सिन्धु समाज के लोगों को व्यापारी के रूप में जाना जाता रहा है लेकिन इस समांज के पास सिंधु घाटी सभ्यता की गौरवशाली विरासत मौजूद है . उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका गहन अध्ययन होना चाहिए . उन्होंने कहा, इस उत्सव के जरिये नई संस्कृति से जुड़ने और इसके देशव्यापी विस्तार के नए रास्ते खुलेंगे . इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ ललित मखीजा ने कहा कि समूह में मिलकर कार्य करने से ही परंपराएं बनती हैं .


सिन्धी लोक संगीत उत्सव में सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलन के बाद बिलासपुर के सिन्धी समाज की महिलाओं ने बहराणा की प्रस्तुति दी . इसके बाद बच्चों ने अर्चित-विरचित खेल और फुगड़ी आदि का प्रदर्शन किया . लाडा के माध्यम से सिंधी परिवारों के मिलन और पति-पत्नी की नोंक-झोंक को प्रदर्शित किया गया .
सिंधी समाज ने अपनी परंपराओं को जीवित रखने और नई पीढ़ी को इसकी जानकारी देने के लिए इस उत्सव का आयोजन किया था . उत्सव में सर्वाधिक आकर्षण के केंद्र थे पारंपरिक वाद्य यंत्र . कच्छ-गुजरात से आए उस्ताद बुद्धा वेला की टीम और अजमेर से आए लोक गायक घनश्याम भगत ने पुरानी परंपराओं और लोक गीतों की याद ताज़ा कर दी . घनश्याम के भगत (लोक गायन) में गीत, संगीत, नृत्य, नाटक सब-कुछ शामिल था . कच्छ के कलाकार उस्ताद बुद्धा वेला मारवाड़ा ने बताया कि वे पीढ़ी दर पीढ़ी लोकगीतों की परंपरा को बरकरार रखे हुए हैं . सिन्धी लोक गायन में उनकी चौथी पीढ़ी देश भर में अपनी प्रतुतियाँ दे रही हैं . उनकी टीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सिने-अभिनेता अमिताभ बच्चन और क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के सामने भी प्रस्तुति दे चुकी है .


पूरे संगीत उत्सव में बिलासपुर के कलाकार राजेश परसरामानी ने सिन्धी सारंगी पर आकर्षक प्रस्तुति दी . उन्होंने खुद विकसित की इलेक्ट्रिक सिन्धी सारंगी का प्रदर्शन किया . उन्होंने गायकी प्रधान वाद्य यंत्र सारंगी से राग कोलियारी में निबद्ध सतरंगी धुनों से माहौल में रस घोल दिया . बाद में राजेश परसरामानी ने उस्ताद बुद्धा वेला के साथ संगत भी की . इस मौके पर राजेश को सिंधु गौरव सम्मान से भी नवाजा गया।

बिलासपुर के कवि भरत चंदानी ने कविता पाठ भी किया जो बेहद सराहा गया . कार्यक्रम का संचालन गरिमा शाहानी, नीरज जगयासी और श्रीचंद माखीजा ने किया .

सम्पादक

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