सावरकर ने किया भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध, भाजपा नेता नितिन को विधायक शैलेष का करारा जवाब, पूछा- बताएं तीन बार किसने मांगी माफी…
बिलासपुर . जब जब देश का इतिहास पढ़ा, लिखा और सुना जाएगा, सावरकर का नाम आएगा लेकिन बलिदानियों में नहीं बल्कि आजादी के परवानों के खिलाफ अंग्रेजों की मुखबीरी करने में। इतिहास बहुत निर्मम होता है। वह किसी को माफ नहीं करता। भाजपा जितना भी पालिश कर ले, सावरकर देश अंग्रेज परस्त थे, है और आगे भी रहेंगे। यह बातें नगर विधायक शैलेष पाण्डेय ने भाजपा प्रदेश सह-प्रभारी नितिन नवीन के बयान- सावरकर ने देश के लिए बलिदान किया और नेहरू का आजादी में कोई योगदान नहीं है, पर प्रेस नोट जारी कर कही।
दरअसल, बिलासपुर के भाजपा कार्यालय में बुधवार को भाजपा प्रदेश सह-प्रभारी नितिन नवीन का पत्रकारों के साथ संवाद आयोजित था। इसी दौरान एक पत्रकार ने नितिन से सवाल किया कि देश की आजादी में नेहरू और गांधी के सामने सावरकर और गोडसे कहां है ? नितिन नवीन ने बताया कि देश की आजादी में वीर सावरकर ने आत्मबलिदान किया। उस समय न तो गांधी सामने आए और न ही नेहरू। नितिन ने आगे कहा कि नेहरू का आजादी में कोई योगदान नहीं है। नितिन ने यह भी कहा कि आजादी के समय नेहरू ने किसी भी आंदोलन में भाग नहीं लिया।
यह बयान मीडि़या में आने के बाद नगर विधायक शैलेष पाण्डेय ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि शुतुरमूर्ग की तरह सिर छिपाने से सच्चाई छिप नहीं जाती। शैलेष ने हैरानगी जाहिर की कि गांधी परिवार का देश की आजादी में जितना योगदान है, इसकी लेश-मात्र जानकारी भी भाजपा नेताओं को नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा अपने पितृ संगठन आरएसएस से पूछे कि वे कोई ऐसा क्रांतिकारी बताए जिसने आजादी के आन्दोलन में नाखून का भी बलिदान किया हो।
शैलेष ने कहा कि नेहरू परिवार ने ब्रिटिश हुकूमत का विरोध करते हुए कुल 43 साल जेल की यातनाएं झेली हैं। इसमें अकेले पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 13 साल की सजा काटी है। 1942 में जब गांधी ने एलान किया कि हमें सूरज उगने से पहले देश को आजाद कराना है उस समय यही सावरकर अंग्रेजों की जी-हुजूरी कर रहे थे। अंग्रेजों से पेंशन लेने वाले सावरकर ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया। मजेदार बात यह है कि इसके लिए ब्रिटिश हुकुमत ने सावरकर को अपना वफादार बताकर सम्मानित भी किया।
शैलेष ने कहा कि सच तो यह है कि नितिन को शायद बिहार की भौगोलिक स्थिति की भी जानकारी नहीं होगी। नेहरू को बिहार में ही जेल की सजा मिली। शैलेष ने आगे कहा कि जिस तिरंगा को लेकर आज भाजपा और आरएसस के नेता आन-बान-शान की बात कर रहे हैं, उसी आरएसएस कार्यालय में 53 साल तक झंडा नहीं लहराया गया। उन्होंने एक भी क्रांतिकारी पैदा नहीं किया बल्कि गांधी को मारने के लिए गोडसे को जरूर पैदा किया। उस समय भी गोडसे से नेहरू ने कहा था कि यदि बापू के पार्थिव शरीर के सामने गोडसे माफी मांग ले तो उसे कोई सजा नहीं मिलेगी।
शैलेष ने नितिन नवीन के बयान पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें एक बार बलराज मधोक की किताब जरूर पढ़नी चाहिए कि आखिर दीनदयाल उपाध्याय की हत्या कैसे हुई और किसने की। सच तो यह है कि भाजपा के चाहने भर से नेहरू को सदियों तक झुठलाया नहीं जा सकता है। आज दुनिया के 145 देशों में नेहरू के योगदान को अलग-अलग संस्थानों के माध्यम से याद किया जाता है। लेकिन षड़यंत्रकारी गतिविधियों के उपासक नितिन नवीन को इसकी जानकारी शायद ही होगी, तभी तो उन्हें सावरकर बलिदानी नजर आते हैं। शैलेश ने यह भी कहा कि नितिन को बताना चाहिए कि वह एकलौता इंसान कौन है जिसने जेल से निकलने के लिए तीन बार अंग्रेजों से लिखित माफी मांगी थी।