प्रेस क्लब के “पहुना” IG शुक्ला ; नए कानून पीड़ित पक्ष के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखकर बनाये गए हैं…
पुलिस की विश्वसनीयता को और अधिक बढ़ाने की जरुरत…
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेंज के आईजी डॉ संजीव शुक्ला शुक्रवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में “पहुना” बनकर पहुंचे . उन्होंने कहा कि आज के दौर में जनता के बीच पुलिस की विश्वसनीयता को और अधिक बढ़ाना ही पहली जरुरत है . उन्होंने कहा कि शहर हो अथवा सुदूर गाँव का इलाका, पुलिस है तो हर जगह यह संदेश जाना चाहिए कि “आप सुरक्षित हैं” . वस्तुतः कम्युनिटी पुलिसिंग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है . नए कानून पीड़ित पक्ष के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखकर बनाये गए हैं .तमाम चुनौतियों के बीच अपने में गुणात्मक सुधार लाने के लिए पुलिस सतत प्रयासरत है . एक इकलौता पुलिस अधिकारी अगर अपने क्षेत्र की जनता की नब्ज को समझ गया और उनके भरोसे को जीत गया तो बड़े से बड़े आपराधिक मामले घटने से पहले ही रोके जा सकते हैं .
आईजी शुक्ला ने कहा कि ’90 के दशक से वे पुलिस सेवा में हैं . पैतीस साल के सफ़र में उन्होंने पाया कि पहले से लेकर आज तक बहुत ही क्रन्तिकारी परिवर्तन आये हैं . स्वाभाविक रूप से पहले की तुलना में पुलिस की चुनौतियाँ बढ़ीं हैं . सोशल मीडिया के जमाने में, जब सब कुछ, हर किसी की निगाह में है, तब ट्रांसपिरेंसी पहली जरुरत बनकर उभरी है . घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं और कुछ भी छिपाया नहीं जा सकता . इतना ही नहीं, अपराध का स्वरुप भी बदल गया है . अब लोकल चोर, ग्लोबल हो गए हैं . छोटी-मोटी चोरियां नहीं, बड़े-बड़े अपराध हो रहे हैं .
उन्होंने अपने रेंज की पुलिस के समक्ष 6 सूत्रीय चुनौतियों की फेहरिस्त गिनाई .
साइबर अपराध…
आईजी शुक्ला बिलासपुर रेंज की पुलिस के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती साइबर अपराध को मानते हैं . यह ग्लोबल अपराध है . ये अपराधी हद दर्जे के शातिर होते हैं . रायगढ़, कोरबा, जांजगीर के सुदूर गाँव में बैठे भोले-भाले लोगों को ये टारगेट करते हैं . उन्होंने इससे बचाव के दो तरीके सुझाएँ . पहला, लोगों को जागरूक करना और दूसरा, पुलिस को इससे निपटने के लिए प्रशिक्षित करना . उन्होंने संतोष जाहिर किया कि नए आने वाले पुलिस अधिकारी ऐसे मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह से ट्रेनिंग प्राप्त हैं . पिछले वर्षों में ऐसे अनेक अपराधियों को पकड़कर दण्डित किया गया है .
बढ़ती दुर्घटनाएं…
आईजी डॉ संजीव शुक्ला ने कहा कि ट्रैफिक की समस्या दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है . उन्होंने बताया कि अनेक स्थानों पर एक विशेष काल अवधि में हत्या के मामलों से ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं से मृत्यु के मामले दर्ज हैं . कहीं-कहीं तो यह आंकड़ा 10 गुना ज्यादा तक है . उन्होंने सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए 3 उपाय सुझाएँ . ट्रैफिक एजुकेशन, ट्रैफिक इंजीनियरिंग और लॉजिकल इन्फोर्समेंट . उन्होंने अपनी बात को विस्तार दिया कि यातायात नियमों के प्रति जन-जागरण सर्वाधिक उचित उपाय है . वहीँ, ट्रैफिक इंजीनियरिंग के जरिये ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जाती है जहाँ दुर्घटनाएं ज्यादा होती है . ऐसे ग्रे एरिया और ब्लैक स्पॉट की पहचान कर उन्हें अभियांत्रिकी तरीके से ठीक किया जा सकता है . उन्होंने स्पष्ट किया कि पब्लिक से किसी भी कानून को लागू कराने के लिए तार्किक होना जरूरी है . जैसे, हेलमेट पहनने के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए शहर के अन्दर भीड़ भरे बाज़ार में अभियान चलाने की बनिस्बत शहर के आउटर में ऐसे स्थान चिन्हित किये जाने चाहिए जहाँ दुर्घटनाओं की वजह से हेड-इंजुरी की समस्या सबसे अधिक है . आईजी ने उम्मीद जाहिर की कि इस वर्ष पिछले साल के मुकाबले सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मृत्यु दर में अपेक्षाकृत कमी होगी .
औद्योगिकीकरण से उपजी समस्याएँ…
आईजी शुक्ला ने कहा कि पिछले दशकों में बिलासपुर संभाग में औद्योगिक विकास बड़ी तेजी से हुआ है . पॉवर, माइनिंग, कोल संबंधी उद्योग यहाँ बहुतायत से है . जाहिर है, ऐसे स्थानों में अपराध में बढ़ोत्तरी और दूसरे किस्म की समस्याएँ हमेशा मुंह-बाएँ खड़ी रहती हैं . पुलिस के समक्ष यह चुनौती सदा बनी रहती है कि ठीक तरीके से सभी मामलों का निपटारा हो और लॉ एंड आर्डर की स्थिति अनुकूल बनी रहे . इस दिशा में पुलिस बेहतर कार्य कर रही है .
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा…
आईजी शुक्ला ने कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा का मुद्दा वैश्विक है . यूएनओ सहित हमारी सरकार इनके प्रति बेहद चिंतित है . हमारी पुलिस भी इस संवेदनशील मुद्दे के प्रति सदैव सजग है . महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों के प्रति यहाँ की पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है . मिसिंग चाइल्ड के लिए ऑपरेशन मुस्कान चलाया जा रहा है . उसी तरह महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों की रोकथाम के लिए कई उपाय किये जा रहे हैं . उन्होंने संतोष जाहिर किया कि नया क़ानून इसमें और भी मददगार साबित हो रहा है . नए कानून में पीड़ितों के सर्वोत्तम हितों का ध्यान रखा गया है . उन्होंने बताया कि महिला के खिलाफ अपराध होने की अवस्था में दो माह के भीतर चार्ज-शीट पेश करना अब अनिवार्य कर दिया गया है ताकि त्वरित न्याय सुलभ हो .
ट्रांसफार्मेशन, पुराने से नए कानून तक…
आईजी शुक्ला ने कहा 1 जुलाई से पूरे देश में तीन नए कानूनों के परिवर्तित स्वरुप को लागू करना पुलिस के समक्ष बड़ी चुनौती है . उन्होंने स्वीकार किया कि तकनीकी मामलों में इन कानूनों को लागू करने में कुछ वक्त लग सकता है तथापि हमने चरणबद्ध तरीके से इस पर अमल करना शुरू कर दिया है . उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि अकेले, उनकी रेंज के शत-प्रतिशत पुलिस स्टाफ को नए कानून के संबंध में बुनियादी प्रशिक्षण दिया जा चुका है . उन्होंने कहा कि आम जनता भी इससे अवगत हो, इसके लिए सतत जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है .
नए कानून के अनुसार प्रत्येक थाने में महिला अधिकारी/ विवेचक की नियुक्ति की गई है . सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में तीन थानों के पीछे एक महिला अधिकारी की नियुक्ति अवश्य की जाएगी . उन्होंने कहा कि अभी तक 24 महिला अधिकारियों की कमी महसूस की जा रही है जिनकी समय रहते नियुक्ति की जाएगी . इसी प्रकार, वीडियोग्राफर, फोटोग्राफर की भूमिका को भी अनिवार्य कर दिया गया है . सभी जगह एक-एक फोरेंसिक टीम का भी गठन किया जाना है . क्राइम होने की अवस्था में बतौर सबूत तथा आरोपी के गिरफ्तार होने पर फिंगर प्रिंट लेना भी अनिवार्य किया गया है . इन सभी कार्यों के लिए हर थाने में दो-दो आरक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है .
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के साथ व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करने अनुबंध भी किया है . कुल मिलाकर हमारी पुलिस का नए कानून में शिफ्ट होना निर्बाध गति से जारी है .
पुलिस की विश्वसनीयता को बढ़ाना…
उन्होंने जोर देकर कहा कि आज के दौर में जनता के बीच पुलिस की विश्वसनीयता को और अधिक बढ़ाने की जरुरत है . उन्होंने कहा कि 10 हजार की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 200 “जिम्मेदार” पुलिसकर्मी ही पर्याप्त हैं . जाहिर है, इसके लिए पुलिस को अपनी क्रेडिबिलिटी बढ़ानी होगी . हमारे पूर्वजों ने आमजनों के बीच जो विश्वसनीयता हासिल की उसमें और ईजाफा करना होगा . हम “क्रेडिबिलिटी सेल” पर काम कर रहे हैं . कोशिश है कि हमारा कमाया हुआ विश्वास जैसा 1 जनवरी को था वैसा ही 30 जून को हो और उससे भी बढ़ा हुआ 31 दिसम्बर को हो . हम स्वयं में गुणात्मक सुधार लाने की प्रक्रिया में सदैव रहें .
अपने उद्बोधन के बाद डॉ शुक्ला ने पत्रकारों के सवालों के जवाब भी दिए . एक सवाल के जवाब में उन्होंने इस बात से साफ़ इनकार किया कि नए कानून के साए में पुलिस की निरंकुशता बढ़ेगी . उन्होंने स्पष्ट किया कि नए कानून पीड़ित पक्ष के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए बनाये गए हैं . न्याय प्रणाली की बढ़ी हुई क्षमता के कारण पीड़ितों को त्वरित न्याय मिलेगा . जीरों में एफआईआर की कायमी की जा सकेगी . व्हाट्स-एप की सूचना से अपराध दर्ज हो सकेगा . वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही देने की सुविधा होगी . 60 दिन के भीतर कोर्ट में चार्ज-शीट दाखिल होगी . अगले 45 दिन के अन्दर फैसला आ जायेगा . आरोपी की अनुपस्थिति में भी ट्रायल पूरा हो सकेगा .
उन्होंने कहा कि समय के साथ नई तकनीक का इस्तेमाल भी बढ़ा है . इसके अनुरूप साक्ष्य अधिनियम में बदलाव हुए हैं . इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड, ई-मेल, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, वेबसाइट, अन्य डिजिटल उपकरण दस्तावेज की श्रेणी में आ जायेंगे . एफआईआर, केस डायरी, चार्ज शीट और फैसलों का डिजिटलीकरण जरूरी हो गया है .
इससे पहले बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली, सचिव दिलीप यादव, कोषाध्यक्ष प्रतीक वासनिक, कार्यकारिणी सदस्य गोपीनाथ डे सहित अन्य पत्रकारों ने “पहुना” डॉ संजीव शुक्ला का स्वागत किया . कार्यक्रम के अंत में प्रेस क्लब की कार्यकारिणी ने उन्हें शॉल, श्रीफल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया .