हाईकोर्ट ; छत्तीसगढ़ के आरक्षण मामले में राज्यपाल सचिवालय को नोटिस…

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सोमवार को आरक्षण मामले में राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है . आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार व एक एडवोकेट ने याचिका दायर की है . हाईकोर्ट ने मामले में जवाब प्रस्तुत करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है .
महाधिवक्ता तथा अन्य अधिवक्ताओं से मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार ने दो महीने पहले, 2 दिसम्बर 2022 को विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य में विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण का प्रतिशत बढ़ा दिया था . नए आरक्षण विधेयक के अनुसार छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी, ओबीसी के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4 फीसदी आरक्षण कर दिया गया था . राज्य सरकार ने नियमानुसार उक्त विधेयक को राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा था . फिलहाल राज्यपाल अनुसूईया उइके ने इसे स्वीकृत करने से इनकार कर दिया है और उसे अपने पास ही रखा है . राज्यपाल द्वारा विधेयक स्वीकृत नहीं करने और उसे रोके रखने पर एडवोकेट हिमांक सलूजा और राज्य शासन ने हाईकोर्ट में इस आशय की याचिकायें दायर की थी . याचिकाओं में कहा गया कि राज्यपाल को विधानसभा में पारित किसी भी बिल को रोके रखने का अधिकार नहीं है . यह संविधान के अनुच्छेद 200 का उल्लंघन है .
हाईकोर्ट में सोमवार को जस्टिस रजनी दुबे की एकल पीठ के समक्ष दोनों याचिकाओं पर प्रारंभिक सुनवाई हुई . राज्य शासन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 200 के अंतर्गत 3 तरह के ही अधिकार प्राप्त हैं जिसमें या तो वे बिल पर हस्ताक्षर करें या बिल वापस करें या उसे राष्ट्रपति को प्रेषित करें . बिना किसी वजह के बिल को लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता .
एडवोकेट सिब्बल के साथ हाईकोर्ट के महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा भी थे . मामले में याचिकाकर्ता हिमांक सलूजा की तरफ से हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट डॉ. निर्मल शुक्ला और शैलेंद्र शुक्ला ने भी बहस की . सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया है . हाईकोर्ट ने मामले में जवाब प्रस्तुत करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है .