पहले पुजारी को बंधक बनाया, उससे मंदिर की चाबी छीनी और बेशकीमती गरुड़ प्रतिमा ले भागे मूर्तिचोर…
31 साल पहले इसी क्षेत्र से डिडनेश्वरी देवी की मूर्ति चोरी हुई थी, दोनों वारदातों का तरीका एक जैसा…

पहले पुजारी को बंधक बनाया, उससे मंदिर की चाबी छीनी और बेशकीमती गरुड़ प्रतिमा ले भागे मूर्तिचोर…31 साल पहले इसी क्षेत्र से डिडनेश्वरी देवी की मूर्ति चोरी हुई थी, दोनों वारदातों का तरीका एक जैसा…

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मस्तूरी क्षेत्र के पाली ग्राम में भांवर गणेश मंदिर से गुरूवार की देर रात काले ग्रेनाइड पत्थर की बनी गरुड़ प्रतिमा की चोरी हो गई . चार अज्ञात चोरों ने पहले मंदिर के पुजारी को बंधक बनाया और बाद में गरुड़ प्रतिमा को उखाड़कर ले गए . जिला पुलिस नाकाबंदी कर बेशकीमती प्रतिमा और आरोपियों की तलाश कर रही है .


मस्तूरी थाना प्रभारी प्रकाश कान्त ने बताया कि मस्तूरी क्षेत्र के पाली ग्राम में स्थित भांवर गणेश मंदिर में गुरूवार की रात करीब 1 से 2 बजे के बीच चार अज्ञात व्यक्ति मंदिर पहुंचे . उन्होंने मंदिर परिसर में निवासरत पुजारी महेश राम केवट के हाथ-पैर बांधकर उसे बंधक बनाया और मंदिर की चाबी छीन ली . चारों लोग मंदिर का दरवाजा खोलकर ब्लैक ग्रेनाइड से बनी करीब ढाई फुट की गरुड़ प्रतिमा को लेकर भाग खड़े हुए .


थाना प्रभारी के अनुसार भांवर गणेश मंदिर के गर्भगृह में बेशकीमती गरुड़ प्रतिमा अपने आसन में जड़ी हुई थी, चोर उसे जमीन से उखाड़कर ले गए . उन्होंने बताया कि पुजारी ने सुबह तक किसी तरह अपने को बंधनमुक्त किया और गांववालों को इसकी खबर दी . देखते-देखते पूरे गाँव में यह खबर आग की तरह फ़ैल गई . सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर परिसर में एकत्र हो गए . सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची . मामले की गंभीरता को देखते हुए उप-महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राहुल देव शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं सीएसपी चकरभाठा सुश्री गरिमा द्विवेदी, मस्तूरी थाना का स्टाफ, एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट (ACCU) की टीम, डॉग स्कॉड, फिंगरप्रिट एक्सपर्ट की टीम भी मौके पर पहुंच कर आगे की कार्यवाही कर रही है .


पुलिस के अनुसार प्राचीन गरुड़ प्रतिमा की चोरी होने के मामले में जिले के सभी आने-जाने वाले रास्तों पर नाकाबंदी कर चुराई गई मूर्ति और आरोपियों की तलाश की जा रही है . पुलिस की अलग-अलग टीम आसपास के क्षेत्रों में ग्रामीणों से पूछताछ भी कर रही है .

वर्ष 1991 में इसी क्षेत्र से डिडनेश्वरी देवी की प्रतिमा चोरी हुई थी…

वृहद् मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मस्तूरी थाना क्षेत्र के पुरातात्विक महत्त्व के स्थल मल्हार के डिडनेश्वरी मंदिर से काले ग्रेनाइड प्रस्तर से निर्मित डिडनेश्वरी देवी (डिडिन दाई) की प्रतिमा 31 साल पहले, 19 अप्रैल 1991 में चोरी हुई थी . गणेश मंदिर से गरुड़ प्रतिमा की चोरी और मल्हार से डिडनेश्वरी देवी की प्रतिमा की चोरी का तरीका एक जैसा है . दोनों प्रतिमाएं काले ग्रेनाइड पत्थर की बनी हुई हैं . दोनों मूर्तियों का चोरी का समय रात्रि एक से दो के बीच है .
डिडनेश्वरी देवी की प्रतिमा की चोरी से पहले चोरों ने मंदिर में सोये हुए पुजारी से देवी के दर्शन के बहाने मंदिर खुलवाया था . मंदिर में घटना की रात्रि में पुजारी तथा उसके दामाद सोये हुये थे . चोरों की संख्या लगभग छह थी . इन्होंने पुजारी को बहाने से बाहर बुलाकर कुछ दूरी पर बलपूर्वक उसे उसी की धोती से कसकर बांध दिया था . मंदिर में स्थित पुजारी के दामाद को पिस्तौल अड़ाकर चाबी मांगी और मूर्ति को उठाकर सफेद रंग की मारुति वैन में भरकर ले गये . चोरों ने पुजारी के दामाद को मंदिर के भीतर बंद कर ताला लगाकर चाबी कहीं अन्यत्र फेंक दी . बाद में किसी प्रकार से पुजारी अपने बंधन खोलकर दौड़ते हुये मंदिर तक आया और बदहवास हालत में उसने चोरी की घटना की जानकारी ग्रामवासियों को दी थी .
उस वक्त डिडिन दाई की प्रतिमा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाज़ार मूल्य 14 करोड़ रूपये आंका गया था . मूर्तिचोर उत्तर प्रदेश के मैनपुर इलाके से मल्हार आये थे . उन्होंने नेपाल के तस्करों से इस मूर्ति का सौदा साढ़े चौदह करोड़ रूपयों में कर लिया था . इसके पहले कि डिडिन दाई की मूर्ति विदेश भेजी जाती बिलासपुर पुलिस ने उत्तरप्रदेश पुलिस के सहयोग से घटना के एक माह बाद 21 मई 1991 को मैनपुर से इसे बरामद कर लिया .
दरअसल पुलिस को स्थानीय टोल बैरियर से एक सुराग हाथ लगा था जहाँ गाड़ी के नंबर के साथ रसीद काटी गई थी . पुलिस को तहकीकात से पता चला कि यह स्थानीय ट्रेवल्स एजेंसी की गाड़ी है . स्थानीय पुलिस चालाकी से एक गाड़ी किराये से लेने के लिए उक्त ट्रेवल्स एजेंसी में पहुंची . वहीँ से पुलिस को आपसी बातचीत से पता चला कि किन-किन लोगों ने एक माह के दौरान गाड़ी किराये से ली थी . पर्याप्त सुराग इकट्ठे कर पुलिस उसके आधार पर उत्तरप्रदेश तक पहुँच गई . अंततः यूपी-एमपी पुलिस के संयुक्त प्रयासों से मूर्तिचोर धर लिए गए और उनके पास से डिडिन दाई की प्रतिमा भी सुरक्षित बरामद कर ली गई . पुलिस मात्र दो आरोपियों को ही गिरफ्तार कर सकी जबकि 3 अन्य आरोपी भाग जाने में सफल रहे . मूर्तिचोरों ने बताया था कि मूर्ति बिलासपुर से मंडला, जबलपुर, सागर, ललितपुर, झांसी होते हुए मैनपुर पहुंचाई गई थी . आश्चर्यजनक रूप से मूर्तिचोरों का सरगना कभी भी पकड़ा नहीं जा सका . असल में, उस वक्त के जैसे हालात थे उसके हिसाब से पुलिस की प्राथमिकता मूर्ति को सुरक्षित वापस लाना ही था .
पुरातत्वविद राहुल सिंह ने बताया कि डिडिन दाई की मूर्ति पहले बिलासपुर लायी गई . बिलासपुर में इसका सिविल लाइन थाना परिसर में बाकायदा पंडाल बनाकर सार्वजनिक प्रदर्शन किया गया . उस वक्त दिन भर प्रतिमा के दर्शन और पूजा करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था . सिविललाइन पुलिस दोहरा काम कर रही थी . मूर्ति का संरक्षण, वहां की व्यवस्था के साथ-साथ पुलिसकर्मी पुजारी का कर्तव्य भी निर्वहन कर रहे थे . बाद में न्यायालयीन आदेश से यह प्रतिमा पूर्वधारक लैनूराम कैवर्त को एक लाख रूपये की जमानत पर सौप दी गई . प्रतिमा को एक विशाल शोभा यात्रा के साथ मल्हार ले जाया गया . इस यात्रा में 33 किलोमीटर का सफ़र पूरा करने में 8 घंटे से भी जयादा का वक्त लगा . बाद में डिडनेश्वरी देवी की प्रतिमा को शुभ महूर्त में 7 जून 1991 को उसके मूल स्थान में पुनर्प्रतिष्ठित कर दिया गया .

सम्पादक

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