संवाद : नफरत का माहौल और गांधी…
नफरत को प्रेम से खत्म करना होगा, यही गांधी जी का मार्ग…

संवाद : नफरत का माहौल और गांधी…नफरत को प्रेम से खत्म करना होगा, यही गांधी जी का मार्ग…

समाज को बचाना है तो टेलीविजन छोड़ें- डॉ पुरुषोत्तम अग्रवाल

गांधी और नेहरू को नायक से खलनायक बनाया जा रहा- डॉ बाजपेयी

नफरत का पैकेज चलाया जा रहा- डॉ अशोक पाण्डेय

कुछ लोग पेशवाई व्यवस्था लाना चाहते हैं- डॉ हरी नरके

बिलासपुर (मीडियान्तर प्रतिनिधि) वर्तमान दौर में फैल रही नफरत को गांधीजी के प्रेम-सिद्धांत से ही नियंत्रित किया जा सकता है। सब तरफ नफरत का माहौल हो तो प्रेम की बात करनी चाहिए । नफरत का बराबरी से मुकाबला न करने के कारण यह चुनौती आई है, अब प्यार का राजनीतिक प्रोजेक्ट चलाना पड़ेगा ।
शनिवार की शाम को लखीराम ऑडिटोरियम में ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस द्वारा आयोजित संवाद : नफरत का माहौल और गांधी-समकालीन सवाल एवं उनके जवाब में प्रमुख वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए । प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा- मजबूरी नहीं मजबूती का नाम महात्मा गांधी है । गांधी से अधिक मजबूत व्यक्ति की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती । गांधी जी के काम को पुराने ऋषि-मुनियों की तपस्या के समकक्ष माना जा सकता है । नफरत के इस माहौल में गांधी जी को याद करना हमारी विवशता है और जरूरत भी । उन्होंने जॉन रॉल्स के दृष्टांत का उदाहरण देते हुए बताया कि हर मनुष्य अपने लिए अच्छा समाज चाहता है । जब तक महिलाओं और दलितों की उपेक्षा खत्म नहीं होगी एक स्वस्थ समाज नहीं बन सकता ।
समाज में कुछ लोग जानबूझकर हिंसा और नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए समाज में प्यार की जागृति लानी होगी । डॉ सौरभ बाजपेयी ने कहा कि हम प्यार के पहरुए हैं . प्यार की ताकत को बढ़ाना होगा । चारों ओर नफरत हो तो प्यार की बात करनी चाहिए, नफरत को प्रेम से ही काटा जा सकता है । नफरत का तात्पर्य यहां फिरकापरस्ती और सांप्रदायिकता से है । यह इन दिनों राजनैतिक प्रोजेक्ट की तरह है । इनसे मुकाबला करने के लिए प्यार का पॉलिटिकल प्रोजेक्ट बनाना पड़ेगा । आज पुरानी परिभाषाओं को बदलकर गांधी और नेहरू को नायक से खलनायक बनाया जा रहा है । हमें सांप्रदायिकता को समझना होगा तभी इन ताकतों का मुकाबला किया जा सकता है । आज की लड़ाई एक बार फिर धर्म बनाम अधर्म की है । गांधीजी के प्रपोत्र रामचंद्र गांधी कहते हैं कि महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या नहीं की गई वरन नफरत की तीन गोलियों को, उस दिन उन्होंने अपने सीने में रोक लिया था ।
डॉ अशोक पाण्डेय ने कहा कि नफरत का माहौल पैकेज में आता है। पैकेज का पहला स्रोत जाति समूह और स्त्री द्वेष होता है । पुरुष दम्भ और धार्मिक नफरत इसके पीछे पहले से हैं । सावरकर और गोलवलकर की राष्ट्र संकल्पना पृथक थी इसलिए मनुस्मृति को संविधान बनाने की बात की गई थी । गांधी जी के जीवन में बहुत सी चुनौतियां हैं लेकिन उन्होंने जातिवाद और हिंदू-मुस्लिम एकता पर कभी समझौता नहीं किया । गांधी जी का फॉर्मूला था कि बहुसंख्यक लोग अल्पसंख्यकों की रक्षा करें । गांधीजी का मानना था कि अहिंसा के समर्थकों को मरने की कला सीख लेना चाहिए । आज के माहौल में एक बार फिर घृणा बढ़ रही है । हमें हर स्तर पर खुद को मुकाबले के लिए तैयार रहना होगा ।
प्रोफेसर हरी नरके ने कहा कि आज के नफरत के माहौल में गांधीजी के प्रेम का तरीका सबसे अच्छा है। आज जो माहौल बनाया जा रहा है इसकी शुरुआत 1925 में नवराष्ट्रवाद के रूप में हुई थी, जब संविधान बन रहा था तब से ही संघ इसके खिलाफ रहा है । उन्होंने जॉन रॉल्स के उद्धरण का हवाला देते हुए कहा कि जब तक समानता नहीं होगी, न्याय नहीं होगा । कुछ लोग पेशवाई व्यवस्था को वापस लाना चाहते हैं । एक वर्ग नहीं चाहता कि दलित भी शिक्षित हो इसलिये बजट में शिक्षा के प्रावधान भी कम किए जा रहे हैं । गांधी जी की हत्या करने वाले को देश भक्त बताया जा रहा है . उन्होंने पूछा, गांधीजी के हत्यारे ने अंग्रेजो के खिलाफ कौन सा आंदोलन किया था . आज अंबेडकर को गांधी के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है ।

कार्यक्रम के पश्चात् सवाल-जवाब का सत्र आयोजित था . उपस्थित लोगों ने अतिथि वक्ताओं के समक्ष अनेक प्रश्न रखें . सभी ने उसका संजीदगी से जवाब दिया . इसके पहले अतिथि वक्ताओं का परिचय पढ़ा गया . प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल अपनी पुस्तकें “अमर कहानी प्रेम की” और “कौन है भारत माता” को लेकर चर्चा में रहे हैं . उन्होंने कबीर की भक्ति पर शोध किया है . लेखक और विचारक अशोक पाण्डेय अपनी किताब “उसने गांधी को क्यों मारा” को लेकर चर्चित रहे हैं . प्रोफेसर हरी नरके दलित साहित्य रचियता हैं जबकि डॉ सौरभ बाजपेयी युवा आंदोलन से जुड़े हैं . वे देशबंधु कॉलेज, कोलकाता में प्रोफेसर है ।
कार्यक्रम के आरम्भ में सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के बाद स्वागत संबोधन कमिश्नर और साहित्यकार डॉक्टर संजय अलंग ने किया . ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस, बिलासपुर ईकाई के अध्यक्ष डॉ अजय श्रीवास्तव ने सभी अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया . मंच संचालन संजय वैद्य ने किया . कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामकुमार तिवारी, नथमल शर्मा, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, अतुल श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा, राजेश दुआ, सत्यभामा अवस्थी, प्रियंका शुक्ला और अतुल कांत खरे सहित बहुत से रचनाकार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे .

सम्पादक

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