गिरमिटिया डिप्लोमेसी पर अधिवेशन ; अटल विवि के कुलपति आचार्य वाजपेयी दूसरी बार “फिजी” जा रहे…
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी अपने एक सप्ताह के दौरे पर फिजी जा रहे हैं। वे यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ पेसिफिक के अंतर्गत गिरमिट इंस्टिट्यूट के द्वारा आयोजित 12 और 13 मई को अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन में “girmitiya diplomacy for International Cooperation” पर विश्व के गिरमिट विषय के विशेषज्ञों को संबोधित करेंगे।
यह सर्वविदित है कि लगभग 190 वर्ष पूर्व भारत वर्ष के भिन्न-भिन्न स्थानों से फिजी, गुयाना, साउथ अफ्रीका, त्रिनिदाद और टोबैगो, मॉरीशस, जमैका, सूरीनाम आदि देशों में एक agreement के अंतर्गत ब्रिटिश शासन द्वारा बंधुआ मजदूर के रुप में लाखों लोग भेजे गए थे । इसमें स्त्री पुरुष बच्चे सभी थे ।इन बंधुआ मजदूरों ने अपने प्रवासी देशों में जाकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक, शारीरिक यातनाएं झेली। परंतु अपनी भाषा, संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखा। उन्होंने अपने प्रवासी देशों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया । गिरमिट इसी एग्रीमेंट का अपभ्रंश है और वहीं से गिरमिटिया शब्द चलन में आया ।
आचार्य वाजपेयी का मानना है कि ये गिरमिटिया देश आपस में मिलकर परस्पर एक समझौते के अंतर्गत सहयोगात्मक रूप रखें और “यूरोपियन यूनियन” की भांति “गिरमिटिया यूनियन” का निर्माण करें जो कि उनके विभिन्न आयामों को विकसित करने में सहयोग प्रदान करें ।
इसके पूर्व आचार्य वाजपेयी फरवरी माह में फिजी देश में ही 12 वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भारतवर्ष के राष्ट्रीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में गए थे। उन्होंने वहां पर भाषाई समन्वय की बात की थी। गिरमिटिया डिप्लोमेसी के अंतर्गत भी उनका मानना है हिंदी के जरिए भारतीय संस्कृति और साहित्य का उपयोग करते हुए गिरमिट देशों को अपने विकास की योजनाएं बनाना चाहिए। उनका यह भी मानना है कि गिरमिटिया देशों और भारत वर्ष के मध्य और प्रगाढ़ संबंध स्थापित होने चाहिए।
अपनी इस यात्रा के लिए कुलपति ने फिजी के भारतवर्ष में उच्चायुक्त डॉ कमलेश एस प्रकाश, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विष्णु भूषण हरिचंदन , प्रदेश के शिक्षा मंत्री उमेश पटेल के प्रति विशेष रूप से आभार प्रकट किया है ।