छत्तीसगढ़ के पत्रकार कृष्ण नागपाल को महाराष्ट्र शासन ने किया पुरस्कृत…
पुरस्कार, विश्राम नहीं अथक परिश्रम करते आगे बढ़ने की शक्ति और प्रेरणा देता है- नागपाल…
नागपुर से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्र ‘राष्ट्र पत्रिका’ के प्रधान संपादक कृष्ण नागपाल को महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के द्वारा पत्रकारिता के शीर्ष ‘बाबूराव विष्णु पराडकर स्वर्ण पुरस्कार’ से नवाजा गया है। मुंबई में स्थित रंग शारदा ऑडिटोरियम में आयोजित अत्यंत गरिमामय कार्यक्रम में प्रदेश और देश की कई जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं।
विगत 47 वर्षों से पत्रकारिता एवं साहित्य लेखन में निरंतर सक्रिय कृष्ण नागपाल को फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा, विख्यात लेखिका चित्रा मुगदल, मध्यप्रदेश अकादमी के विकास दवे, अभिनेता मनोज जोशी, भजन गायक अनूप जलोटा व अन्य ने विशेष स्मृति चिन्ह, शाल एवं पैंतीस हजार की राशि से सम्मानित एवं गौरवान्वित किया गया।
इसके पहले भी नागपाल को उनके कहानी संग्रह ‘चुप नहीं रहेंगी लड़कियां’ के लिए महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी के द्वारा मुंशी प्रेमचंद रजत पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। इसके साथ ही इन्हें देश और विदेश के अनेक पुरस्कारों से सम्मानित होने का गौरव प्राप्त है।
कृष्ण नागपाल ने साहित्य एवं पत्रकारिता की शुरुआत छत्तीसगढ़ से की। कटघोरा में रहकर उन्होंने प्राथमिक शिक्षा और बिलासपुर में आगे की पढ़ाई की। यहां के साहित्यकारों के प्रभाव और सात्विक आबोहवा ने उनके मन-मस्तिष्क में साहित्य और पत्रकारिता के बीज बोए। बिलासपुर तथा रायपुर के अनेक शीर्ष साहित्यकारों एवं पत्रकारों से उनकी नजदीकी और प्रगाढ़ आत्मीयता आज भी सतत बरकरार है। रायपुर से प्रकाशित होने वाले देशबंधु तथा बिलासपुर से प्रकाशित लोकस्वर से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले नागपाल निष्पक्ष और निर्भीक लेखन में विश्वास रखते हैं। इनका पहला कहानी संग्रह ‘जला हुआ आदमी’ तथा लघु उपन्यास ‘जंगल में भटकते यात्री’ प्रयास प्रकाशन, बिलासपुर से वर्ष 1970 के आसपास प्रकाशित किया गया। प्रख्यात पत्रकार रमेश नैय्यर, डॉ. विनय कुमार पाठक, डॉ सतीश जायसवाल, शिव श्रीवास्तव, राजेश दुआ तथा डॉ. देवधर महंत व अन्य सभी स्नेहियों के साथ और सहयोग की बदौलत ही अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते नागपाल का मानना है कि हर पुरस्कार में एक उद्देश्य समाहित होता है। पुरस्कार में यह संदेश होता है कि हमें उन उम्मीदों पर खरा उतरना है, जो हमसे लगायी गई हैं। पुरस्कार, विश्राम नहीं अथक परिश्रम करते आगे बढ़ने की शक्ति और प्रेरणा देता है।