पूर्व विस अध्यक्ष की मौत का मामला : CG पुलिस ने फर्जी डॉक्टर को MP की जेल से गिरफ्तार किया, एक दिन की पुलिस रिमांड मंजूर…

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की पुलिस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की सर्जरी के बाद मृत्यु के मामले में फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम को मध्यप्रदेश की जेल से गिरफ्तार कर लिया है। अदालत ने उसे एक दिन की रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया है। पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यह मामला 19 वर्ष पहले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शुक्ल की सर्जरी के बाद मौत होने से संबंधित है।
मध्यप्रदेश के दमोह में एक अस्पताल में सर्जरी के बाद सात मरीजों की मौत के मामले में गिरफ्तार किए गए और वहां की जेल में बंद यादव ने 2006 में बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में शुक्ल का ऑपरेशन किया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी।
बिलासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) रजनेश सिंह ने बताया कि यादव को बिलासपुर पुलिस ने बृहस्पतिवार को दमोह जिला जेल से गिरफ्तार किया था और आज शुक्रवार की सुबह उसे यहां लाया गया।
एसएसपी सिंह ने बताया कि यादव की गिरफ्तारी के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत, दमोह से अनुमति ली गई थी और फिर उसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत, बिलासपुर से प्राप्त पेशी वारंट के तहत बिलासपुर लाया गया।
कोटा विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन कांग्रेस विधायक शुक्ल की अगस्त, 2006 में बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। उन्होंने 2000 से 2003 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के बेटे प्रदीप शुक्ला ने हाल ही में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि जब उनके पिता अस्पताल में भर्ती थे, तब यादव उस निजी अस्पताल से संबद्ध थे।

प्रदीप शुक्ला ने शिकायत में कहा है, ”यादव ने मेरे पिता की हृदय शल्य चिकित्सा की थी। 20 अगस्त, 2006 को मृत घोषित करने से पहले उन्हें 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया था। अस्पताल प्रबंधन ने मेरे पिता के इलाज के लिए राज्य सरकार से 20 लाख रुपये लिए थे।”
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यादव और निजी अस्पताल पर भारतीय दंड संहिता के तहत गैर इरादतन हत्या (धारा 304), धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने पाया है कि यादव की डिग्री फर्जी है और वह भारतीय चिकित्सा परिषद/छत्तीसगढ़ चिकित्सा परिषद में पंजीकृत नहीं है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बिना उचित जांच के अस्पताल प्रबंधन ने यादव को हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त करके पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शुक्ला के साथ-साथ कई अन्य हृदय रोगियों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सिंह ने कहा, ”निजी अस्पताल में अपने कार्यकाल के दौरान यादव द्वारा इलाज किए गए सभी रोगियों को जांच में शामिल किया गया है। जांच के दौरान पाया गया कि यादव द्वारा इलाज किए जाने के बाद एक अन्य रोगी भगत राम डोडेजा की भी मृत्यु हो गई थी। दोषियों को सख्त सजा सुनिश्चित करने के लिए पूछताछ व जांच चल रही है।”
इसके पहले, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को शिकायत मिलने के बाद यादव को गिरफ्तार किया गया था। शिकायत में दावा किया गया था कि मिशन अस्पताल, दमोह में सात लोगों की मौत हो गई थी, जहां उन्होंने हृदय रोगों के इलाज के नाम पर मरीजों का ऑपरेशन किया था।
इंदौर स्थित एक रोजगार परामर्श फर्म के निदेशक ने कहा था कि यादव ने 2020 से 2024 के बीच नौकरी के लिए तीन बार अपना बायोडाटा भेजा था और दावा किया था कि उन्होंने हजारों मरीजों का ऑपरेशन किया है। 2024 में फर्म को भेजे गए नौ पन्नों के बायोडाटा में यादव ने खुद को वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ बताया था और अपना स्थायी पता ब्रिटेन के बर्मिंघम का बताया था।
निदेशक ने कहा था कि बायोडाटा में उन्होंने यह भी उल्लेख किया था कि वे हजारों हृदय रोगियों के ऑपरेशन में शामिल रहे हैं, जिनमें 18,740 ‘कोरोनरी एंजियोग्राफी’ और 14,236 ‘कोरोनरी एंजियोप्लास्टी’ के ऑपरेशन शामिल हैं।
उधर, यादव ने खुद को ‘बड़ी साजिश’ का शिकार बताया है और दावा किया है कि उनकी डिग्रियां असली हैं।