असंख्य वीरों ने बलिदान दिया तब मिली आजादी, इसका महत्व प्रत्येक व्यक्ति समझेः डॉ लोकेश शरण

असंख्य वीरों ने बलिदान दिया तब मिली आजादी, इसका महत्व प्रत्येक व्यक्ति समझेः डॉ लोकेश शरण

कालापानी भारतीय इतिहास का कड़वा सत्य है, इसे छिपाया गया…

कारगिल विजय दिवस पर अटल यूनिवर्सिटी में पुस्तक-विमर्श…

अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय एवं श्लोक-ध्वनि फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से पुस्तक-विमर्श का कार्यक्रम आयोजित किया। डॉ लोकेश कुमार शरण की किताब ‘भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में कालापानी की ऐतिहासिक भूमिका” पर चर्चा हुई। चर्चा में वक्ता के रूप में एडीएन वाजपेयी, कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी वि.वि. एवं प्रो.हर्ष पाण्डेय, प्राध्यापक शासकीय महाविद्यालय, पाली ने अपने विचार साझा किए।


कुलपति वाजपेयी ने कहा कि कारगिल विजय दिवस के दिन हम देश के बलिदानियों को याद कर रहे है और ये सुखद संयोग है कि इसी दिन हम एक महत्वपूर्ण पुस्तक पर चर्चा भी कर रहे हैं । यह इतिहास की एक अत्यंत जरूरी पुस्तक है जिसे बड़े परिश्रम और शोध से लेखक ने लिखा है। कालापानी के कई अनछुए तथ्यों को इस पुस्तक में लिखा गया गया है। कई क्रांतिकारीयों का विस्तृत विवरण बड़े अथक प्रयास से तैयार किया गया है। ऐसी शोधपरक किताबों को निश्चित रूप हम पाठ्यक्रम में स्थान देना चाहिए ताकि बच्चों में देशप्रेम व त्याग की भावना जागृत हो।


कार्यक्रम में दूसरे वक्ता प्रो. हर्ष पाण्डेय ने कहा कि इस किताब में कालापानी के दौरान यातनाओं का जिक्र मिलाता है। लेखक ने बड़े साहस के साथ कई ऐसे तथ्यों को सामने लाने का कार्य किया है जो अब तक छुपे हुए थे । उन्होंने कहा कि विश्व के सम्पूर्ण स्वतंत्रता संग्रामों के बलिदानों के अध्ययन के बाद मैंने समझा कि भारतीय जनों के साथ जैसा नृशंस और क्रूर कृत्य किया गया वैसा कहीं और नहीं हुआ हैं। यह किताब इस बात को सम्पूर्णता के साथ रेखांकित करती है।


आखिर में लेखक डॉ शरण ने किताब के रचनाकर्म पर बात करते हुए कहा कि बचपन से ही उन्हें उनके परिवार, शिक्षकों से जो माहौल मिला वे इस विषय के प्रति उनकी जिज्ञासा को बढ़ाता गया। उन्होंने बताया कि शोध के दौरान उन्हें ऐसे-ऐसे नृशंस किस्सों का पता चला जिसे इतिहास से गायब कर दिया गया है। उनके द्वारा बताए किस्से, जिसमें इलाहाबाद में नीम चौक में स्थित एक पेड़ पर 240 लोगों को फांसी दे देना, लोगों को तोप से बांध कर उड़ा देना, सेलुलर जेल की यातनाएं आदि सुनकर उपस्थित लोगों की आंखें भर आईं। स्कूल के बच्चों ने इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल करने की हामी भरी।
डॉ शरण ने आगे कहा कि अंडमान-निकोबार द्वीप-समूह के नामों को आज उन बलिदानियों के नाम पर रख गया है जो कभी वहाँ के क्रूर जेलरों के नाम से विख्यात थे। उन्होंने आगे कहा कि इस देश में ऐसे जरूरी इतिहास को छुपा कर रखना हमारी पीढ़ियों को पंगु बना रहा है। हमें समझना होगा कि कैसे यातनाओं को सहने के बाद हमें ये आज़ादी मिली है।
बाद में श्लोक-ध्वनि फाउंडेशन के संस्थापक श्रीकुमार एवं सुमित शर्मा ने सभी का आभार मानते हुए कहा कि शहर में निरंतर ऐसे गंभीर विषयों पर सार्थक चर्चाएं होती रहनी चाहिए। हमारा प्रयास है कि शहर में एक बौद्धिक और जागरूक समूह बने जो आवश्यक मुद्दों पर सार्थक बात रखे। कार्यक्रम का संचालन रोबिन के द्वारा किया गया। इससे पहले वृक्षारोपण से कार्यक्रम का आरंभ हुआ। द्वीप प्रज्ववलन एवं कुलगीत के पश्चात प्रो. होता ने स्वागत भाषण दिया।
कार्यक्रम में रामकुमार तिवारी,राजेश दुआ, देवेंद्र यादव, सुनील शर्मा,विश्वेश ठाकरे,राजेन्द्र मौर्य,पूर्णिमा तिवारी सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, प्रोफेसर्स, रिसर्च स्कोलर्स, आत्मानंद स्कूल के छात्र, इतिहास में रुचि रखने वाले गणमान्य शहर वासी और साहित्यकार उपस्थित रहे।

सम्पादक

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