अडानी की परसा ईस्ट और केते बासेन कोयला खदान के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई जारी, पुलिस का दमनकारी रवैया, अनेक आंदोलनकारियों को सुबह-सबेरे ही उठा ले गई पुलिस…

अडानी की परसा ईस्ट और केते बासेन कोयला खदान के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई जारी, पुलिस का दमनकारी रवैया, अनेक आंदोलनकारियों को सुबह-सबेरे ही उठा ले गई पुलिस…

हसदेव के जंगलों की कटाई पर रोक लगाने और आंदोलनकारियों की रिहाई की मांग की छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने…

सरगुजा जिला के उदयपुर क्षेत्र में परसा ईस्ट एवं केते बासेन कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई शुरू हो गई है . गुरुवार की सुबह से ही कोल खदान साल्ही, परसा मोड़, बासेन जाने वाले प्रत्येक मार्ग पर पुलिस बल तैनात हैं . बताया जा रहा है कि यहाँ हजारों की संख्या में पेड़ों को काट दिया गया है . इस क्षेत्र के कोल ब्लॉक में कोयला उत्पादन और परिवहन का कार्य अडानी की कंपनी को सौंपा गया है .
उधर, पेड़ों की कटाई का विरोध करने वाले अनेक आंदोलनकारियों को पुलिस तड़के उनके घरों से उठाकर ले गई . धरना स्थल हरिहरपुर में भी पुलिस बल तैनात हैं . हसदेव में पेड़ों की कटाई शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में पुलिस ने आदिवासियों को गिरफ़्तार किया है . सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला को भी पुलिस ने कोरबा ज़िले से गिरफ़्तार किया है और उन्हें बिलासपुर लाने के बाद तखतपुर की ओर ले कर गई है.
खबर है कि फ़िल्मकार अजय टीजी को भी कथित तौर पर पुलिस, आलोक शुक्ला की गाड़ी में कटघोरा से उठा कर बिलासपुर लाई . बताया जा रहा है कि पुलिस वाले उन्हें बिलासपुर के सूर्या हॉटल व बार में ले गए .
सूत्रों से जानकारी मिली है कि घाटबर्रा के पेंड्रा मार जंगल से पेड़ों की कटाई शुरू की गई . देर शाम तक वहां हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं . प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार कल शुक्रवार को भी वहां कटाई जारी रहेगी .
सरगुजा के परसा ईस्ट केते बासेन कोल ब्लॉक के लिए 2682 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है, जिसमें लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा वन विभाग का है और यह क्षेत्रों वनों से आच्छादित है . पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने लगभग 134.84 हेक्टेयर क्षेत्र में कोल उत्पादन की अनुमति दी थी . इस दौरान हजारों की संख्या में फोर्स लगाकर 43.6 हेक्टेयर वन भूमि से लगभग 10000 पेड़ काटे गए थे . बाद में विवाद की स्थिति निर्मित होने पर 91.2 हेक्टेयर भूमि पर वनों की कटाई पर रोक लगा दी गई .
वर्ष 2023 में दिसंबर महीने में प्रदेश में सरकार बदलते ही भाजपा जब सत्ता में आसीन हुई, तब फिर से वनों की कटाई हेतु अनुमति जारी कर दी गई है .
इधर, छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन ने बाकायदा एक विज्ञप्ति जारी कर हसदेव अरण्य क्षेत्र के पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने और आंदोलनकारी आदिवासियों की रिहाई की मांग की है . छत्तीसगढ़ बचाओं आन्दोलन के अनुसार यदि हसदेव के जंगलों की कटाई नहीं रोकी गई, तो पूरे प्रदेश में व्यापक आंदोलन शुरू किया जायेगा .
विज्ञप्ति में विस्तार से लिखा गया है कि छत्तीसगढ़ की सत्ता में काबिज होते ही भाजपा सरकार ने अपने चहेते कार्पोरेट अडानी के लिए संसाधनों की लूट और आदिवासियों के दमन की कार्यवाही शुरू कर दी है . इसी कारगुजारी के तहत आज गुरूवार की सुबह हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के युवा साथी रामलाल करियाम (ग्राम हरिहरपुर), जयनंदन पोर्ते (सरपंच ग्राम घाटबर्रा) और ठाकुर राम सहित अन्य आंदोलनकारी साथियों को पुलिस घर से उठाकर ले गई है और गांव में भारी पुलिस फोर्स को तैनात करके परसा ईस्ट और केते बासेन कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है .
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, भाजपा सरकार की इस दमनात्मक कार्यवाही की कड़े शब्दों में भर्त्सना करती है और आदिवासियों साथियों की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए हसदेव के जंगल विनाश पर रोक लगाने की मांग करती है .
उल्लेखनीय है कि हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ का समृद्ध वन क्षेत्र है, जहां हसदेव नदी और उस पर मिनीमता बांगो बांध का कैचमेंट है, जिससे 4 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है . केंद्र सरकार के ही एक संस्थान “भारतीय वन्य जीव संस्थान” ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हसदेव अरण्य में कोयला खनन से हसदेव नदी और उस पर बने मिनीमाता बांगो बांध के अस्तित्व पर संकट पैदा हो जायेगा . इसके साथ ही प्रदेश में मानव-हाथी संघर्ष इतना बढ़ जाएगा कि फिर कभी उसे सम्हाला नही जा सकेगा .
छत्तीसगढ़ विधानसभा ने 26 जुलाई 2022 को सर्वानुमति से अशासकीय संकल्प पारित किया था कि हसदेव अरण्य को खनन मुक्त रखा जाए . पूरा क्षेत्र पांचवी अनुसूची में आता है और किसी भी ग्रामसभा ने खनन की अनुमति नहीं दी है . परसा ईस्ट, केते बासेन कोयला खदान के दूसरे चरण के लिए खनन वनाधिकार कानून, पेसा अधिनियम और भू-अर्जन कानून – तीनों का उल्लंघन है .
विज्ञप्ति के अनुसार जिन जंगलों का विनाश किया जा रहा है, उससे प्रभावित गांव घाटबर्रा गांव को मिले सामुदायिक वन अधिकार पत्र को तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा ही निरस्त किया गया था, जिसका मामला पुनः बिलासपुर उच्च न्यायालय में लंबित है . नव निर्वाचित भाजपा सरकार को जिस विश्वास के साथ इस प्रदेश और खासकर सरगुजा के आदिवासियों ने सत्ता सौंपी है, सरकार का यह कृत्य उसके साथ सीधा विश्वासघात है . यदि हसदेव के जंगलों की कटाई नहीं रोकी गई, तो पूरे प्रदेश में व्यापक आंदोलन शुरू किया जायेगा .

सम्पादक

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