आध्यात्म को जीते हैं भारतवासी : एडीएन वाजपेयी…

आध्यात्म को जीते हैं भारतवासी : एडीएन वाजपेयी…

प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू हुए एयू के कुलपति, कहा- हमारे डीएनए में बस गई है आध्यत्मिकता…

“सम्पूर्ण विश्व में शोषण, पोषण, अलग करने और जोड़ने के साथ ही अनेक तरह की संस्कृतियां मौजूद हैं . विकसित राष्ट्रों में “फूट डालो और राज करो” की नीति अपनाई जाती है . यह भी एक तरह की संस्कृति ही है . हमारे भारत वर्ष में भी तरह-तरह की संस्कृति और परंपराएं चलन में हैं . देश के कुछ हिस्सों में शोषण की संस्कृति है तो कुछ स्थानों पर पोषण की संस्कृति का स्वरूप दिखाई देता है . कमोबेश आज के राजनीतिक परिवेश में भी अलगाववादी और जोड़ने वाली संस्कृतियां साथ-साथ चलती है . इन सबके बावजूद हमारी संस्कृति जोड़ने की है, तोड़ने की नहीं . एक धारा है जो हम सब को एक सूत्र में पिरोये रखती है . वह है, आध्यात्मिकता की धारा . आध्यात्मिकता हमारे लिए पढ़ने-पढ़ाने का विषय नहीं है बल्कि हम, भारत के लोग आध्यात्मिकता को जीते हैं . आध्यात्म, हमारे डीएनए में रचा-बसा है”.


अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी बुधवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू थे . आचार्य वाजपेयी, ब्रिटिश पार्लियामेंट के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में उन्हें मिले इंटरनेशनल बुक ऑफ ऑनर के अनुभवों पर पत्रकारों के साथ साझा संवाद कर रहे थे . “साझा संवाद” के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली ने की . वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार तथा वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष डॉ सतीश जायसवाल, उत्तराखंड के कवि-समीक्षक-साहित्यकार सिद्धेश्वर सिंह और भारत सरकार के केन्द्रीय संचार ब्यूरो के बिलासपुर में क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी डॉ प्रेम कुमार की वहां विशेष उपस्थिति थी .
आचार्य वाजपेयी ने विदेश की जमीन पर “आध्यात्म के माध्यम से वैश्विक संस्कृति के एकीकरण” पर दिए व्याख्यान के दौरान कहा कि हमारी संस्कृति में स्पष्टता और निरंतरता है . बहुविज्ञता और सार्वभौमिकता के साथ सर्वसमावेशी की भावना है . उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान दौर में सम्पूर्ण विश्व को भारत वर्ष में विद्यमान संस्कृति के अनुभव की जरुरत है . उन्होंने कहा कि हमने अनंत काल से आध्यात्मिकता को जीवंत बनाये रखा है . “वसुधैव कुटुम्बकम्” की अवधारणा हमारी पूँजी है जिसके जरिये वैश्विक एकता और अंतर्संबंधों को मजबूत किया जा सकता है .
कार्यक्रम के आरम्भ में प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली व उनकी कार्यकारिणी के सदस्यों ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया . कार्यक्रम को डॉ सतीश जायसवाल, प्रोफे. सिद्धेश्वर सिंह और डॉ प्रेम कुमार ने भी संबोधित किया .


इसी अवसर पर कार्यक्रम में विशेष रूप से मौजूद भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के केन्द्रीय संचार ब्यूरो के बिलासपुर में क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी डॉ प्रेम कुमार को विदाई दी गई . डॉ प्रेम कुमार का तबादला भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) नई दिल्ली में हो गया है . बाद में प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली, सचिव दिलीप यादव, उपाध्यक्ष संजीव पाण्डेय कोषाध्यक्ष प्रतीक वासनिक, सह-सचिव दिलीप जगवानी तथा कार्यकारिणी सदस्य गोपीनाथ डे ने सभी अतिथियों का शाल, श्रीफल, पुष्प माला और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया . आखिर में, वरिष्ठ पत्रकार रूद्र अवस्थी ने सभी अतिथि वक्ताओं के प्रति आभार प्रगट किया . संचालन वरिष्ठ पत्रकार राजेश दुआ ने किया . इस अवसर पर पत्रकार दिनेश ठक्कर, जितेन्द्र थवाइत, शैलेन्द्र पाठक, सुश्री मधु शर्मा, काजल किरण सहित प्रेस क्लब के अनेक सदस्य तथा साहित्यकार द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, राजेंद्र मौर्य, महेश श्रीवास, डॉ अमिता सागर, सुनील चिपड़े व अन्य उपस्थित थे .


इसके पूर्व बिलासपुर के जे पी वर्मा स्नातकोत्तर कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में भी कुलपति एडीएन वाजपेयी ने उपरोक्त विषय पर अपना सारगर्भित उद्बोधन दिया . कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ सतीश जायसवाल ने की . कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली और क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी डॉ प्रेम कुमार भी मौजूद थे . कॉलेज के राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ दीपशिखा शुक्ला और प्राचार्य व संरक्षक डॉ एस एल निराला ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया .

सम्पादक

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