गिरीश त्रिवेदी ने गाया रफी साहब के लिए गाना…’गा रहा है ये ज़माना, नगमे ये तेरे सुहाने’, 31 को विधिवत लांच करेंगे…

गिरीश त्रिवेदी ने गाया रफी साहब के लिए गाना…’गा रहा है ये ज़माना, नगमे ये तेरे सुहाने’, 31 को विधिवत लांच करेंगे…

भारतीय फिल्म संगीत के महानतम गायकों में से एक ‘शहंशाह-ए-तरन्नुम’ मोहम्मद रफी साहब की 43 वीं पुण्य तिथि 31 जुलाई के अवसर पर उनको श्रद्धांजलि स्वरूप एक गीत बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के जाने-माने गायक गिरीश त्रिवेदी ने कलमबद्ध करने के साथ स्वरबद्ध भी किया है . गिरीश हुबहू रफ़ी की आवाज में गीतों को निभाने में माहिर हैं . रफ़ी साहब के लिए उन्हीं के अंदाज़ में गाया गया उनका यह ताजातरीन गीत 31 जुलाई को लोकार्पित और प्रसारित किया जायेगा . इस गीत का संगीत दिया है बिलासपुर के सत्या और शिवा नायडू ने . इसकी वीडियोग्राफी सौरभ त्रिवेदी ने की है . पूरे गीत की रिकॉर्डिंग टी एस म्यूजिक बिलासपुर में की गई है .
ऐसा माना जा रहा है कि रफ़ी की याद में यह गाना वर्ष 1990 में रिलीज़ हुई फिल्म “क्रोध” में प्रख्यात सिने-अभिनेता अमिताभ बच्चन पर फिल्माए गए गीत ‘मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया’ (इस गीत के संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल थे. गीत आनंद बक्शी ने लिखा था और गाया था मोहम्मद अजीज़ ने) के बाद दूसरा गीत होगा जो उनके गीतों के सफरनामे पर लिखा और स्वरबद्ध किया गया हैं .


दरअसल, रफ़ी साहब ने भारतीय फ़िल्म जगत के लिए तकरीबन 8 हजार गीत गाये हैं . इसके अलावा उनके गैर-फ़िल्मी गीत भी बहुतायत से सुने जाते हैं . उन्होंने गीत-गायन की हर विधा में अपना हुनर दिखाया . रोमांटिक, ग़मगीन, हास्य प्रधान, तीज-त्यौहार, खुशी के पल, सभी वैरायटी के गीतों को उन्होंने अपनी आवाज़ दी . उनकी गायीं गजलें, कव्वाली, भजन, लोक-गीत, शास्त्रीय संगीत प्रधान गीत और देशभक्ति गीत आज भी धूम मचा रहे हैं . लगभग सभी फार्मेट में रफ़ी साहब की मखमली आवाज़ का जादू साफ़ देखा जा सकता है . फिल्म उद्योग के तमाम बड़े नायक, सह-नायक और हास्य-कलाकरों को उन्होंने अपनी आवाज़ बख्शी है . रफ़ी साहब को अपने जीवनकाल में उत्कृष्ट गायकी के लिए छह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार और एक राष्ट्रीय पुरस्कार मिला . इसके अलावा भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाज़ा है .
रफ़ी की आवाज का जादू बिखेर रहे बिलासपुर के गायक गिरीश त्रिवेदी ने बताया है कि वे बचपन से ही रफी साहब के गीतों के प्रति आकर्षित रहे . रफ़ी के गीतों से उन्हें बेहद आत्मीय लगाव है . अपने स्व-रचित गीत के संबंध में गिरीश ने बताया कि रफ़ी साहब के विशाल गीत-संगीत साम्राज्य को दो अंतरों में नहीं समेटा जा सकता . उन्होंने रफ़ी की याद को अपने जेहन में बसाए रखने के लिए यह गीत ‘गा रहा है ये ज़माना, नगमें ये तेरे सुहाने’ लिखा और स्वरबद्ध किया है .
उन्होंने बताया कि विगत 25 से भी ज्यादा वर्षों से उनकी संस्था “कला संगम सांस्कृतिक मंच” सांगीतिक कार्यक्रम “यादें रफ़ी”
आयोजित करती रही है . इस बार रविवार, 30 जुलाई की संध्या सीएमडी कॉलेज के सभागार में यह कार्यक्रम आयोजित है . वहीं, वे रफ़ी पर लिखा यह खूबसूरत नगमा गुनगुनायेंगे . उन्होंने बताया कि 31 जुलाई को रफ़ी साहब की पुण्य तिथि के अवसर पर यह गीत यू-ट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म में एक सादे समारोह के साथ विधिवत लांच किया जायेगा .

सम्पादक

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