सिन्धी लोक संगीत उत्सव 11 जून को, गुजरात और राजस्थान के कलाकार देंगे प्रस्तुति, प्राचीन एवं लुप्त होती कला एवं दुर्लभ वाद्ययंत्रों की नई जनरेशन को मिलेगी जानकारी…

सिन्धी लोक संगीत उत्सव 11 जून को, गुजरात और राजस्थान के कलाकार देंगे प्रस्तुति, प्राचीन एवं लुप्त होती कला एवं दुर्लभ वाद्ययंत्रों की नई जनरेशन को मिलेगी जानकारी…

बिलासपुर में एक बार फिर सिन्धी लोक संगीत उत्सव का आयोजन किया जा रहा है . अबकी बार 11 जून, रविवार का दिन निर्धारित है . बिलासपुर के सिम्स ऑडिटोरियम में शाम साढ़े पांच बजे से “सिन्धी लोक संगीत साज़ ऐं नृत्य जो मेलो” की महफ़िल सजेगी . आयोजन पूज्य सिन्धी सेन्ट्रल पंचायत और भारतीय सिन्धु सभा की ओर से किया जा रहा है . उत्सव में बिलासपुर और देश के अन्य हिस्सों के ख्यातिलब्ध कलाकार शिरकत कर रहे हैं . सिन्धी समाज के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में यह जानकारी दी .
सिन्धी समाज के पदाधिकारी डी डी आहूजा और विनीता भावनानी ने बताया कि झूलेलाल के बहराणा की ज्योत प्रज्वलन के साथ सिन्धी लोकोत्सव शुरू होगा . समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी के कुलपति एडीएन बाजपेयी एवं मशहूर चिकित्सक डॉ ललित मखीजा उपस्थित रहेंगे . आयोजन प्रमुख एवं भारतीय सिंधु सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष डीडी आहूजा ने बताया कि बंटवारे के बाद से हिंदुस्तान आए सिंधी समाज को अपनी बोली, भाषा, लोकसंगीत और संस्कृति को बचाए रखने जद्दोजहद करनी पड़ रही थी, जिसमें अब उन्हें सफलता मिलने लगी है . समाज की कोशिशों के तहत ही सिंधी लोक संगीत उत्सव के दूसरे वर्ष का यह कार्यक्रम बिलासपुर में आयोजित किया जा रहा है . सिंधी लोक गायन (भगत) अजमेर से आ रहे घनश्याम भगत द्वारा किया जाएगा . इसी तरह सिंधी लोक गायन, उस्ताद बुद्धा वेला एवं ग्रुप के द्वारा प्रस्तुत किया जायेगा . इसके लिए करीब 7 कलाकारों की टीम कच्छ, गुजरात से आ रही है . इसी तरह सिंधी सारंगी वादन में बिलासपुर के राजेश कुमार परसरामानी अपनी प्रस्तुति देंगे . इस मौके पर सिंधी छेज (डांडिया), सिंधी लाडा (लोकगीत) सिंधी रादियूं (खेलकूद) बालगीत, पारंपरिक लोकनृत्य के अलावा विविधता से परिपूर्ण आयोजन यहां देखने को मिलेगा . आयोजन की प्रमुख, सिंधु सभा की राष्ट्रीय महामंत्री विनीता भावनानी ने बताया कि लोक संगीत और संस्कृति का संरक्षण करने के साथ ही कोशिश ये भी की जा रही है कि आने वाली पीढ़ी को इसे हस्तांतरित किया जाए ताकि वर्षों-वर्षों तक यह जीवित रहे . उन्होंने बताया कि सिंधी समाज के लोकगीत और लोक कला वर्तमान में वेंटिलेटर पर है जिसे बचाए रखने समाज ने यह पहल की है . उन्होंने बताया कि इस दौरान सिंध प्रांत की मूल लोक कला में शामिल दुर्लभ वाद्य यंत्र भी इस कार्यक्रम में आकर्षण के केंद्र होंगे . इस मौके पर संगीत में इस्तेमाल होने वाले घड़े के साथ-साथ दूसरे यंत्र भी देखने को मिलेंगे . उन्होंने बताया कि सिन्धी सारंगी को भी संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है .


सिन्धी सारंगी वादक बिलासपुर के राजेश परसरामानी ने बताया कि सिंधी सारंगी की उत्पत्ति सिंध से हुई है . उन्होंने बताया कि सारंगी बहुत महंगा वाद्य यंत्र है . सारंगी कठिन वाद्य है और इससे नाखून भी कट जाते हैं . उन्होंने बताया कि इसके विकल्प के तौर पर सिन्धी सारंगी की शक्ल बदले बगैर इलेक्ट्रिकल सारंगी को तैयार किया गया है . इसका मुंबई और चेन्नई हाईकोर्ट से पेटेंट भी करा लिया गया है . लोक संगीत उत्सव में इसका प्रदर्शन किया जायेगा .
सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष पी एन बजाज ने बताया कि संगीत और सिंधी कल्चर की जानकारी आने वाली नई पीढ़ी को दी जा रही है ताकि मौजूदा पौध इस लोक कला और संस्कृति को बचाए रखें . प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय सिंधु समाज के अध्यक्ष शंकर मनचंदा, महिला विंग की अध्यक्ष गरिमा शहानी, सेंट्रल पंचायत महिला विंग के अध्यक्ष राजकुमारी मेहानी सहित समाज के तमाम पदाधिकारी और गणमान्य नागरिक इस मौके पर मौजूद रहे .

सम्पादक

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