प्रेस क्लब में काव्यांजलि ; “गरल जो पी ले जमाने का सारा का सारा, मैं शहर-शहर वो शंकर तलाश करता हूँ”….
साहित्यिक आयोजन आज की जरुरत – डॉ सतीश जायसवाल.

बिलासपुर प्रेस क्लब में शनिवार शाम को आयोजित “काव्यांजलि “ में 11 कवियों ने काव्य-पाठ किया . ज्यादातर कविताएं प्रकृति, मौसम और प्रेम से संबंधित थीं . कुछ कवितायेँ वर्तमान व्यवस्था के खिलाफ भी थीं . इसी आयोजन के साथ वरिष्ठ साहित्यकार-पत्रकारों का सम्मान कार्यक्रम भी आयोजित था . देश के जाने-माने साहित्यकार-कवि-पत्रकार डॉ सतीश जायसवाल, वरिष्ठ साहित्यकार और चिंतक भगवती प्रसाद दुबे (बल्लू भैया) और बिलासा कला मंच के संयोजक सोमनाथ यादव को सम्मानित किया गया .

काव्यांजलि में प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकार-कवि और मित्र-कवियों ने काव्य पाठ किया . युवा कवि दीपेंद्र शुक्ला ने कवि-गोष्ठी का आगाज़ किया . उनकी कविता “बसंत आ गया है’ ने उपस्थित श्रोताओं की खूब तालियाँ बटोरी . कवि संतोष शर्मा ने “तुम्हारा दिल दरिया तो मेरा समुन्दर” गीत को प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास के अंदाज़ में पढ़ा . कवि और कोलाज़ कलाकार वीवी रमन किरण ने “माँ वाला रंग” कविता में माँ की महिमा प्रतिपादित की . गंभीर प्रकृति के रचनाधर्मी सुनील शर्मा ने छोटी-छोटी कवितायेँ सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी . कविता “ माँ जो कुछ बनाती है, मैं वही बन जाना चाहता हूँ” और “गाँव सांस लेता सुनाई देता है” उनकी उम्दा रचनाएँ थीं .

कवि-ह्रदय और ग्रामीण-पत्रकारिता के हस्ताक्षर भास्कर मिश्रा “पारस” ने तो आते ही समां बाँध दिया . उनके व्यवस्था पर प्रहार करते मुक्तक मन को छू लेने वाले थे . उन्होंने अपनी ओजपूर्ण आवाज़ में “पड़े जो शूल पथ पर, पद प्रहारों से कुचल डालो” और “फिर क्यों प्यार न हो माटी से, माटी से संसार बना है” जैसी मर्मस्पर्शी कविताएँ पढ़ीं . वरिष्ठ साथी-कवि अशोक व्यास ने भी अपनी दो कविताओं में जिंदगी का फलसफा पेश किया . “लोग चुराने लगे हैं अंदाज़ हमारे, दर्द भी चुराकर देखो” और “ए जिंदगी तू कहाँ खो गई” में उन्होंने खुद को खोल कर रख दिया .

प्रेस क्लब के मित्र-कवियों में उर्दू भाषा के सशक्त हस्ताक्षर सुमित शर्मा ने एक उम्दा ग़ज़ल पढ़ी . मसला था “बाल हिरणी के जैसे तुम्हारे नयन, देखो घायल किया मेरा तन-मन बदन” . युवा-तुर्क कवि श्री कुमार ने भी ग़ज़ल सुनाई, कहा कि “गरल जो पी ले जमाने का सारा का सारा, मैं शहर-शहर वो शंकर तलाश करता हूँ” . नोयडा से आये कवि अंकुर शुक्ला की रचना “शुतुरमुर्ग” भी उल्लेखनीय थी . काव्यांजलि के अंत में कविवर महेश श्रीवास की व्यंग्य कविता “मानसरोवर की शोभा, केवल बगुले बढ़ा रहे हैं” और वरिष्ठ कवि सनत तिवारी की छत्तीसगढ़ी गीत “मधुमास” को उपस्थित श्रोताओं ने खूब सराहा . सभी आमंत्रित कवियों को प्रेस क्लब अध्यक्ष वीरेन्द्र गहवई और पूर्व अध्यक्ष तिलक राज सलूजा ने स्मृति-चिन्ह भेंट किये .

कवि-गोष्ठी के बाद वरिष्ठ साहित्यकार-पत्रकारों के सम्मान कार्यक्रम में प्रेस क्लब के अध्यक्ष वीरेन्द्र गहवई ने देश के जाने-माने साहित्यकार-कवि-पत्रकार डॉ सतीश जायसवाल, वरिष्ठ साहित्यकार और चिंतक भगवती प्रसाद दुबे (बल्लू भैया) और बिलासा कला मंच के संयोजक सोमनाथ यादव को शाल और स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित किया .

इसी क्रम के मुख्य अतिथि डॉ सतीश जायसवाल ने कहा कि पत्रकारिता के साथ साहित्यिक आयोजन होते रहना चाहिए . इस तरह के आयोजन हर माह, दो माह में लगातार होने चाहिए . साहित्यिक आयोजन आज की जरुरत हैं . उन्होंने साहित्य-कला-संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान व अन्य विधाओं से जुड़े विशेषज्ञों व मर्मज्ञों को इसमें शामिल करने की सलाह भी दी . वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद दुबे ने प्रसन्नता जाहिर की कि नए कवि आ रहे हैं, यह बहुत ही अच्छी बात है . कवियों को मंच मिलना ही चाहिए, उनसे सीखने को बहुत कुछ मिलता है . बिलासा कला मंच के संयोजक डॉ. सोमनाथ यादव ने कहा कि यह शुरुआत अच्छी है . पत्रकार अपने पेशेगत कारणों से तनाव में रहते हैं, ऐसे आयोजनों से उनमें कलात्मक पहलू का विकास होगा . कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार राजेश दुआ ने किया . कार्यक्रम में प्रेस क्लब के अध्यक्ष वीरेंद्र गहवई, पूर्व अध्यक्ष तिलकराज सलूजा, पत्रकार राम प्रताप सिंह, उमेश मौर्य, वरिष्ठ फोटो-पत्रकार पवन सोनी, सुदेश दुबे साथी, अनिरुद्ध राजपूत, प्रकाश राव, विकल्प तललवार व अन्य मौजूद रहे।