राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद् और दिल्ली विवि. के हंसराज कॉलेज का संयुक्त आयोजन ; 5वें अधिवेशन में भारत के श्रेष्ठ समाज विज्ञानी जुटेंगे…

राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद् और दिल्ली विवि. के हंसराज कॉलेज का संयुक्त आयोजन ; 5वें अधिवेशन में भारत के श्रेष्ठ समाज विज्ञानी जुटेंगे…

अधिवेशन का मूल विषय ‘भारतीय ज्ञान परंपरा में समाज विज्ञान’…

परिषद के अध्यक्ष और अटल विवि. के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने बताया…

राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद का पांचवा अधिवेशन नई दिल्ली में परिषद् व दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में 15 से 17 अक्टूबर तक आयोजित हो रहा है। अधिवेशन का मूल विषय ‘भारतीय ज्ञान परंपरा में समाज विज्ञान’ निर्धारित किया गया है। यह बात राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद के अध्यक्ष और अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने संक्षिप्त प्रेस वार्ता में बतायी। अधिवेशन में भारतवर्ष के श्रेष्ठ समाज विज्ञानी एवं विद्वानों का समागम होगा।
अधिवेशन में प्रमुख रूप से केंद्रीय विश्वविद्यालय उड़ीसा के कुलाधिपति प्रोफेसर पीवी कृष्ण भट्ट, दिल्ली विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के पूर्व आचार्य, प्रसिद्ध समाजसेवी, सहयोग परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ऑफिसर राजकुमार भाटिया, प्रख्यात दार्शनिक और चिंतक मुकुल कानिटकर, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर शांति श्री धुलीपुड़ी पंडित, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव, राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय संस्थान की निदेशक प्रोफेसर सरोज शर्मा, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा, बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एन आर भानुमूर्ति, शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विद्युत चक्रवर्ती, अजमेर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ला, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ और बाबासाहेब आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के पूर्व कुलपति, इंडियन साइंस कांग्रेस के जनरल प्रेसिडेंट प्रोफेसर आर. सी. सोबती, एआईसीटीई के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे, पंजाबी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और मॉरीशस के पूर्व राजदूत प्रोफेसर जसपाल सिंह, मणिपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर ए पी पांडे, आईसीएचआर के डायरेक्टर प्रोफेसर ओम उपाध्याय, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर कुलदीप अग्निहोत्री, आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव प्रोफेसर वीके मल्होत्रा, श्री गंगानगर विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति और इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडीज शिमला की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर चंद्रकला पाडिया, भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा की सह कुलपति, यूजीसी की सदस्य और भारत सरकार द्वारा गठित अनुसूचित जाति के जांच आयोग की सदस्य प्रोफेसर सुषमा यादव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, केंद्रीय विश्वविद्यालय केरल के पूर्व सह कुलपति भारतीय राजनीति विज्ञान संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर जय प्रसाद, इंडिया पॉलिसी फाउंडेशन की चेयरमैन प्रोफेसर शीला राय इत्यादि के साथ-साथ भारतवर्ष के लगभग पांच सौ समाज वैज्ञानिक सम्मिलित होगें।
अधिवेशन का उद्घाटन वक्तव्य संस्कृत के प्रख्यात विद्वान श्री शतावधानी गणेश देंगे और मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह होंगे।
अधिवेशन का समापन उद्बोधन राज्यसभा सदस्य और आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉक्टर विनय सहस्त्रबुद्धे देंगे और अध्यक्षता दीनदयाल उपाध्याय संस्थान के निर्देशक और प्रख्यात समाज विज्ञानी डॉ महेश शर्मा करेंगे।
अधिवेशन को प्रमुख रूप से 5 विषयों में आवंटित किया गया है जिसमें अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र ,समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शन से संबंधित भारतीय ज्ञान परंपरा पर विद्वान लोग शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे और चर्चाएं करेंगे।
अधिवेशन के उपरांत समाज विज्ञान विषयों के पाठ्यक्रम, अनुसंधान और नीति निर्माण को केंद्र में रखते हुए कुछ प्रस्ताव भी पारित किए जाएंगे।
ज्ञातव्य हो कि राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद का गठन 2008 में रामभाऊ महालगी प्रबोधिनी संस्था, मुंबई में हुआ था जिसमें भारतवर्ष के लगभग 100 विज्ञानियों ने भाग लिया था। अधिवेशन में यह संकल्प लिया गया था कि समाज विज्ञान विषयों को “औपनिवेशिक मनोविज्ञान” से मुक्त कराना है। भारतवर्ष की अपनी परंपराएं हैं, संस्कृति है, विज्ञान और समाज विज्ञान है। लेकिन समाज विज्ञान के विषयों को ब्रिटिश शासन की उपनिवेशवादी नीति से उसे विवशतापूर्वक दबाया गया और स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत भी वही परंपरा चलती रही। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि समाज में विघटनकारी शक्तियां व्याप्त होती रहीं।
अधिवेशन में कहा गया कि समाज विज्ञान के विषयों, जिनका समाज से सीधा संबंध है, उनका भारतीयकरण किये जाने की आवश्यकता है। यह भारतवर्ष के लिए नहीं अपितु पूरे विश्व के लिए एक आवश्यकता है। समाज के विभिन्न अंगों को आपस में जोड़ना और समाज को प्रकृति एवं पर्यावरण से जोड़कर संधारीय धारणीय प्रसाद को प्राप्त करना आवश्यक है।
ज्ञातव्य हो कि इस अधिवेशन के पूर्व में तुमकुर (कर्नाटक), पटना (बिहार), भोपाल (मध्य प्रदेश ), कानपुर (उत्तर प्रदेश) में राष्ट्रीय अधिवेशन हो चुके हैं और भारतवर्ष के भिन्न-भिन्न स्थानों में क्षेत्रीय अधिवेशन एवं परिसंवाद भी आयोजित हुए हैं।
राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सहित भारतवर्ष की नीतियों पर यथा समय हस्तक्षेप किया है और सुझाव भी दिए हैं। इस अधिवेशन में प्रोफेसर अशोक मोडक, कुलाधिपति केंद्रीय विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ की पुस्तक का विमोचन भी किया जाएगा। राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद के अध्यक्ष आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी तथा सचिव प्रोफेसर शीला राय ने हंसराज कॉलेज में होने वाले इस अधिवेशन में सम्मिलित होने के लिए सभी को आमंत्रित किया है। उन्होंने अधिवेशन को सफल बनाने के लिए हंसराज कॉलेज की प्राचार्य प्रोफेसर रमा, उप प्राचार्य, प्रोफेसर अलका कक्कर, बड़सर प्रोफ़ेसर प्रीति और प्राध्यापक डॉक्टर शैलू सिंह, डाक्टर माधवी, डॉक्टर अनुराग, डाक्टर आशुतोष, डॉक्टर विजय मिश्रा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की है।

सम्पादक

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