कई औषधीय गुणों से भरपूर है… चरोटा
हमारे छत्तीसगढ़ में चरोटा अधिक मात्रा में पाया जाता है . अभी समय इसकी भाजी खाने का है, जो बहुत ही गुणकारी होती हैं . इसे चिरोटा चकोड़, फुहांडियां, पवांड, पनवाड़, चक्रवड (Cassia tora ) आदि नामों से भी जाना जाता है .
भारतवर्ष के लगभग हर प्रांतों में इसे भरपूर देखा जा सकता है . खेत-खलिहानों, मैदानी भागों, सड़क के किनारे और जंगलों में प्रचुरता से पाए जाने वाले इस पौधे में अनेक औषधीय गुणों की भरमार है . जानकारी के अभाव में इसे किसी खरपतवार से कम नही माना जाता है .
चरोटा के ताजे पत्तों की सब्जी लिवर सिरोसिस में लाभकारी होती है . आधा सिर के दर्द में इसके बीजों को पीसकर उसका लेप बनाकर माथे पर लगाएं . कील मुंहासों के लिए चरोटा के बीजों का चूर्ण और चन्दन मिला कर लगाए .
उसीतरह, खांसी में इसके बीजों के पावडर की एक ग्राम मात्रा ले लें . एक्जीमा, सोरायसिस और दाद-खाज-खुजली में इसके पत्तों को उबालकर उस पानी से स्नान करें . इसके पत्तों की सब्जी खाए और इसके बीजों की 2-3 ग्राम मात्रा पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से काफी लाभ मिलता है . इसके बीजों की 3 ग्राम मात्रा मधुमेह को नियंत्रित करती है . चरोटा ह्रदय को मजबूती देता है . यह कोलेस्ट्रोल को घटाता है और बीपी को नियंत्रित करता है .
चायनीज़ मेडिसिन में इसे आँखों की ज्योति बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है .
(निर्मल बारा की फेसबुक पोस्ट से साभार)