नगर विधायक शैलेष पाण्डेय का अंदाज़-ए-बयां ; “उनकी आदत हो गई है अपमान करने की और मेरी सहन करने की”…
बिलासपुर . ऐसा पहली मर्तबा नहीं हुआ . बिलासपुर के जनप्रिय विधायक शैलेष पाण्डेय को अपनी ही पार्टी के अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन में एक बार फिर अपमानित होना पड़ा . विधायक थोड़े क्षुब्ध जरूर थे लेकिन उन्होंने इसे जाहिर होने नहीं दिया . बाद में उन्होंने कहा कि “उनकी आदत हो गई है अपमान करने की और मेरी सहन करने की” . विधायक पाण्डेय ने सिर्फ इतना किया कि वे चुपचाप कार्यक्रम को बीच में छोड़कर चले गए .
दरअसल, बिलासपुर में शनिवार को प्रार्थना भवन में राज्य सरकार का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आयोजित था . राजीव गाँधी किसान न्याय योजना- 2022 के अंतर्गत किसानों, भूमिहीन मजदूरों, पशुपालकों और महिला-समूहों को राशि अंतरण की जानी थी . कार्यक्रम छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर के मुख्य आतिथ्य में रखा गया था . कार्यक्रम में जिले के सभी पक्ष-विपक्ष के जनप्रतिनिधियों और कांग्रेस पार्टी संगठन के पदाधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था . विशेष अतिथि के तौर पर विधायक शैलेष पाण्डेय भी कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे . कार्यक्रम जिला प्रशासन ने आयोजित किया था .
जानकारी के अनुसार एक सामान्य प्रोटोकाल के तहत मंच में मुख्य अतिथि के दोनों तरफ चुने हुए जन-प्रतिनिधियों के बैठने की व्यवस्था होती है . लेकिन ऐसा नहीं किया गया . श्री चंद्राकर के एक तरफ तखतपुर विधायक रश्मि सिंह ठाकुर और दूसरी तरफ शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय पाण्डेय बैठे हुए थे . जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष प्रमोद नायक और जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केसरवानी को भी उचित स्थान दिया गया था . उनके बाजू में बिलासपुर के कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर भी बैठे हुए थे . सबसे आखिर में अतिरिक्त व्यवस्था के तौर पर विधायक शैलेष पाण्डेय को स्थान दिया गया .
जाहिर है, प्रोटोकाल का उल्लंघन विधायक पाण्डेय को रास नहीं आया . उन्होंने स्वयं को अपमानित महसूस किया और कार्यक्रम स्थल से बाहर निकल गए . उन्होंने मीडिया के समक्ष जिला प्रशासन द्वारा की गई बैठक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह भी खड़ा किया .
बाद में विधायक ने मीडियान्तर से टेलीफोनिक बातचीत में बताया कि वे कार्यक्रम में 10 मिनट तक रहे . फिर वे बैठक व्यवस्था सही न होने पर मुख्य अतिथि श्री चंद्राकर से इजाजत लेकर कार्यक्रम स्थल से बाहर निकल गए . वे एक निर्वाचित जन-प्रतिनिधि होने के कारण स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे थे . उन्होंने इशारों-इशारों में यह भी कहा कि “उनकी आदत हो गयी है अपमान करने की और मेरी आदत हो गयी है अपमान सहन करने की” .