अटल विश्वविद्यालय का 5वां दीक्षांत समारोह…
विश्वविद्यालय हमारी सामूहिकता, ज्ञान और संस्कृति के संरक्षक : राज्यपाल रमेन डेका….
समावेशी शिक्षा के साथ विश्वविद्यालय ज्ञान के क्षेत्र में बनें विश्वगुरू : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय…
64 विषयों में 92 गोल्ड मेडल और 48 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि से नवाजा गया…
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 31 अगस्त 2024 . महामहिम राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज शनिवार को यहां अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित 5वें दीक्षांत समारोह में शिरकत की। उन्होंने 64 विषयों में विद्यार्थियो को 92 गोल्ड मेडल तथा 48 को पी.एच.डी. और 35 हजार 291 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा शामिल हुए। उन्हें भारतीय न्याय व्यवस्था में अमूल्य योगदान पर पी.एच.डी. की मानद उपाधि से विभूषित किया गया।
दीक्षांत समारोह में अति-विशिष्ट अतिथि के रूप में केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास राज्यमंत्री तोखन साहू, उप-मुख्यमंत्री अरूण साव, राज्य की प्रथम महिला श्रीमती रानी डेका काकोटी शामिल हुईं। विशिष्ट अतिथि के रूप में विधायक अमर अग्रवाल, विधायक धरम लाल कौशिक, विधायक धरमजीत सिंह, विधायक सुशांत शुक्ला, विधायक अटल श्रीवास्तव एवं विधायक दिलीप लहरिया शामिल हुए। राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथियों ने विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका कन्हार और मासिक पत्रिका अटल दृष्टि का विमोचन भी किया । कार्यक्रम के आरम्भ में दीक्षांत समारोह शोभायात्रा निकाली गई।कुलपति आचार्य अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेन डेका ने विश्वविद्यालय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्वविद्यालय हमारी सामूहिकता, ज्ञान और संस्कृति के संरक्षक हैं। वे ऐसे स्थान हैं, जहां इतिहास संरक्षित किया जाता है। साहित्य का विश्लेषण किया जाता है। आप अपनी पढ़ाई के माध्यम से विचार के विविध क्षेत्रों से जुड़ते हैं और मानवता के बारे में आपके विचार और समृद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 दूरदर्शिता का प्रतिनिधित्व करती है। इसका उद्देश्य युवाओं को तेजी से गतिशील दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए कौशल और ज्ञान से परिपूर्ण करना है। छत्तीसगढ़ के लिए यह नीति प्रगतिशील सुधारों की लहर लाती है। जो हमारे शैक्षणिक संस्थानों पर गहरा प्रभाव डालने के लिए तैयार है।
उन्होंने सुझाया कि विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों को न केवल उभरते हुए रूझानों और प्रौद्योगिकियों के प्रति गतिशील और उत्तरदायी बनाना चाहिए बल्कि इसमें भारतीय परंपरा की समृद्ध विरासत भी शामिल होनी चाहिए। हम मिलकर एक उच्च शिक्षा प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं, जो न केवल हमारे छात्रों की जरूरतों केा पूरा करेगी बल्कि हमारे राज्य और राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान देगी।
छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि देश विकसित भारत @2047 के संकल्प हेतु क्रियाशील है। हम भी प्रदेश में विकसित छत्तीसगढ़ विजन 2047 के लक्ष्य को लेकर कार्य कर रहे हैं। मैं आश्वस्त हूँ कि इस दीक्षांत समारोह के बाद, इस संस्थान के प्रतिभाशाली युवा अपनी रूचि के क्षेत्रों में अपना और अपने विश्वविद्यालय का नाम रौशन करते हुए, इस संकल्प को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। यह विश्वविद्यालय अपने नवाचारों से एक उदाहरण बनता जा रहा है। पीएम-उषा प्रोग्राम के अंतर्गत विश्वविद्यालय को 20 करोड़ रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ है, जो प्रशंसनीय है तथा इससे विश्वविद्यालय की अधोसंरचना का विस्तार होगा और यहां उच्च शिक्षा का स्तर और भी उन्नत होगा।
सीएम ने कहा कि हमें तक्षशिक्षा, नालंदा जैसे भारतीय परपंरा के विशिष्ट विश्वविद्यालय को अपना आदर्श मानते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा के पाठ्यक्रमों को प्रोत्साहन देना है। भारत हमेशा से ज्ञान के क्षेत्र में विश्वगुरु रहा है। हमें पुनः विश्वविद्यालयों को उस प्रतिष्ठा तक पहुँचाने में प्रयासरत होना है। हमें वही प्रतिष्ठा फिर से अर्जित करने के लिए हमारे शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 विख्यात विशेषज्ञों द्वारा लंबे और व्यापक विचार विमर्श के बाद बनाई गई है। यह शिक्षा नीति भावी परिदृश्य को ध्यान में रख कर बनाई गई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का टापू बनकर न रहे बल्कि समाज से सरोकार रखे, समाज एवं राष्ट्र में विश्वविद्यालय का योगदान हो तथा यहाँ निरंतर शोध कार्य हो।
उन्होंने स्पष्ट किया कि आधुनिक युग में युवा पीढ़ी शिक्षित तो हो रही है परन्तु उन्हें संस्कारों से जोड़ने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। छत्तीसगढ़ प्रदेश अपनी विशेष संस्कृति के लिए जाना जाता है, अतः छात्रों को संस्कार-मूलक शिक्षा देने की व्यवस्था के लिए विशेष प्रयास होना चाहिए।
दीक्षांत समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा ने कहा कि विश्वविद्यालय का तेजी से विकास हुआ है। इसे भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ द्वारा अकादमिक और प्रशासनिक विकास केन्द्र के रूप में मान्यता दी गई है जो विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रशिक्षण की गुणवत्ता को दर्शाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उच्च शिक्षा के साथ-साथ कानूनी क्षेत्र में भी विकास और उन्नति के अवसर खोलती है।
कार्यक्रम को केन्द्रीय शहरी राज्य विकास मंत्री तोखन साहू और उप-मुख्यमंत्री अरूण साव ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण कुलपति आचार्य अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों से सभी को अवगत कराया।
विश्वविद्यालय ने 4 मानद उपाधियां भी प्रदान की…
अटल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस प्रशांत मिश्रा को विधि संकाय में पीएचडी की मानद उपाधि दी गई . इसके अलावा इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ को उनकी अनुपस्थिति में एयू विज्ञान संकाय में मानद उपाधि से नवाजा गया . जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, भारत विज्ञान संकाय की निदेशक डॉ. धृति बनर्जी को भी एयू मानध उपाधि दी गई जबकि लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, जालंधर की सम-कुलपति रश्मि मित्तल को एयू कला संकाय में मानद उपाधि प्रदान की गई .
दीक्षांत अवसर पर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तिगण, पंडित सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति वंश गोपाल, नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति एल.पी. पटेरिया, हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पलटा, भूपेन्द्र सवन्नी, कुलसचिव शैलेन्द्र दुबे, आईजी संजीव शुक्ला, कलेक्टर अवनीश शरण, एसपी रजनेश सिंह सहित बड़ी संख्या में विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य, यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी मौजूद थे।