फिजी में 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन ; अटल विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी का चयन अधिकृत प्रतिनिधि मण्डल में…

फिजी में 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन ; अटल विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी का चयन अधिकृत प्रतिनिधि मण्डल में…

बिलासपुर । फिजी देश में होने वाले 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के लिए अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति, आचार्य अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी का राष्ट्रीय प्रतिनिधि मंडल में मनोनयन हुआ है । श्री वाजपेयी का विश्व हिन्दी सम्मेलन के अधिकृत प्रतिनिधि मण्डल के लिए चयन सीधे प्रधान मंत्री कार्यालय से किया गया है।वे 13 फरवरी 2023 को नई दिल्ली से प्रतिनिधिमंडल के साथ विशेष वायुयान से रवाना होंगे। उनके इस मनोनयन से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और छात्र गण काफी उत्साहित हैं। फिजी में 15 से 17 फरवरी 2023 तक 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित है।
सम्मेलन का मुख्य विषय ‘‘हिंदी-पारम्परिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक’’ (Hindi-Traditional Knowledge to Artificial Intelligence) है। इसके उप-विषयों पर 10 समानांतर सत्र निर्धारित किए गए हैं।
विश्व हिंदी सम्मेलन की संकल्पना राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा द्वारा 1973 में की गई थी। इस संकल्पना के फलस्वरूप, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के तत्वावधान में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 10-12 जनवरी, 1975 को नागपुर, भारत में आयोजित किया गया। सम्मेलन के प्रमुख उद्देश्यों में तत्कालीन वैश्विक परिस्थिति में हिंदी को मानव एवं राष्ट्र सेवा का साधन बनाना तथा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ में आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाकर विश्व भाषा के रूप में स्थापित करना शामिल था।


हिंदी को भावनात्मक धरातल से उठाकर एक ठोस एवं व्यापक स्वरूप प्रदान करने में आचार्य वाजपेयी का विशेष योगदान रहा है। आचार्य वाजपेयी का हिंदी के प्रति विशेष समर्पण है। उन्होंने अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय में न केवल हिंदी अपितु छत्तीसगढ़ी में भी नोटशीट लिखना प्रारंभ किया है और विश्वविद्यालय में लगभग सारा काम हिंदी में ही होता है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भी उन्होंने हिंदी को विश्व विद्यालय की प्रशासनिक भाषा बनाया था। उन्होंने विश्वविद्यालय के समस्त अधिनियम, अध्यादेश विनियम इत्यादि का हिंदी में अनुवाद करवा कर प्रदेश शासन से अनुमोदित कराने का प्रयास किया था।
आचार्य वाजपेयी ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की हिंदी शोध पत्रिका ‘‘कौटिल्य वार्ता’’ का लगभग 10 वर्षों तक लगातार संपादन किया। उन्होंने विश्वविद्यालय में हिंदी और अंग्रेजी में अलग-अलग कक्षाएं संचालित करने में भी अपना योगदान दिया। आचार्य वाजपेयी ने लगभग 500 से अधिक व्याख्यान दिए हैं जिनमें अधिकांश हिंदी में ही हैं। आचार्य ने लगभग 20 शोध प्रबंध हिंदी में ही निर्देशित किए हैं। उनके अनेकों शोध लेख राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
आचार्य वाजपेयी हिन्दी के प्रख्यात कवि है। उन्होंने पंकज रंग और नीरज जी के साथ काव्य पाठ किया है। उनकी 703 दोहे वाली पुस्तक ‘‘अरुण सतसई’’ का विद्वानों के बीच बहुत सम्मान हुआ है। अभी हाल ही में उनकी गीत और गजल की एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसका नाम है ‘‘मैं तुम्हारे साथ भी हूँ मैं तुम्हारे पास भी हूँ’’।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत मातृभाषा को स्थापित करने में आचार्य का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित होना चाहिए। उनका मानना है कि अभी भी बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं जिसमें हिंदी का प्रवेश आवश्यक है, विशेषकर चिकित्सा, विज्ञान, कृषि विज्ञान, गणित, प्रबंधन, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी, प्रशासन, विधि, न्याय इत्यादि। इसके साथ ही हिंदी में हमारा स्वाभिमान जागृत होना चाहिए। हिंदी बोलना, हिंदी में लिखना, हिंदी में प्रकाशित करना हमारे स्वाभिमान का प्रतीक होना चाहिए न कि हीन भावना का।
आचार्य वाजपेयी कहते हैं विश्व हिंदी सम्मेलन में सम्मिलित होने का उनका सपना बहुत पुराना है। जब द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलन मारीशस में हुआ था तो उसकी रिपोर्ट उन्होंने बड़े ध्यान से पढ़ी थी। वे बताते हैं कि साप्ताहिक हिंदुस्तान अथवा धर्मयुग में वह रिपोर्ट छपी थी। उसमें वायुयान में कवि सम्मेलन का जिक्र हुआ था। शिवमंगल सिंह सुमन ने काव्य पाठ किया था
‘‘आर्य देश की मानस पुत्री भगिनी मेरे ग्राम की
याद बहुत आएगी मुझको धरती रामगुलाम की।’’
आचार्य वाजपेयी ने अपने चयन के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने उनका नाम प्रस्तावित किया। साथ ही राष्ट्रीय समाज विज्ञान के संरक्षक पी.वी. कृष्ण भट्ट, भारत सरकार के विदेश मंत्री वी. मुरलीधरण और खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार प्रकट किया है जिन्होंने उन्हें इस प्रतिनिधिमंडल में सम्मिलित होने और पूरे विश्वविद्यालय समाज का प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्रदान किया।

सम्पादक

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